चौसा (मधेपुरा)(आससे)। लगातार बारिश एवं कोशी बेराज नेपाल से छोड़ें जा रहे पानी के कारण कोसी व घघरी नदी के बढ़ते जलस्तर से चैसा प्रखंड में बाढ़ की भयावह स्थिति पैदा हो गई है। कई विद्यालयों में पानी प्रवेश कर गया है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में अब तक राहत कार्य नहीं चलाया जा सका है। सैकड़ों एकड़ में लगी किसानों की फसल पानी में डूब गई है।प्रशासन द्वारा अब तक 33 नावों का परिचालन किया जा सका है।दर्जनों लोग अब भी अपने घर पर बने ऊंचे मचान पर रहने को विवश हैं।
मालूम हो कि प्रखंड के दर्जनों गांव कोसी व घघरी नदी के कगार पर बसे हैं। लगातार बढ़ते जल स्तर से बाढ़ की भयावह स्थिति पैदा हो गई है। एक घर से दूसरे घर जाने के लिए भी अब लोगों को नाव का सहारा ही लेना पड़ रहा है। चैसा फुलौत मार्ग के फरदा पारी में पुल पर डेढ़ से दो फीट ऊपर चढ़ा बाढ़ का पानी। रोड के बंद होने से फुलौत आलमनगर क्षेत्र के लोगों को होगी परेशाननी ।चैसा प्रखंड के फुलौत पूर्वी एवं पश्चिमी, मोरसंडा, चिरौरी, लौआलगान पूर्वी एवं पश्चिमी, चैसा पश्चिमी,घोषई, पैना, अरजपुर पश्चिमी पंचायत के लिए बाढ़ सनातन दुख गाथा है।
हर साल की बाढ़ इस इलाके की बड़ी आबादी को हर खानाबदोश बनाती रही और रहनुमा बस इसके गवाह होते रहे हैं। बाढ़ के दिनों में यहां की मुख्य सवारी नाव हो जाती है। कोसी के गर्भ में बसे इन ग्रामीणों के पास मेहनत करने के अलावा कोई उपाय नही हैं।
बताया गया कि एक सप्ताह से फुलौत के घघरी नदी में लगातार बढ़ रहे जल स्तर से फुलौत पूर्वी पंचायत के बड़ीखाल, बरबिग्घी, पिहोरा बासा, करैल बासा, अनुपनगर, नवटोलिया, धुमावती स्थान, विनोदनगर चिकनी, फुलौत पश्चिमी के सपनी मुसहरी, घसकपुर, पनदही बासा, झंडापुर बासा, तियर टोला, पासवान टोला, मोरसंडा के बलोरा घाट, मोरसंडा गोठ, रामचरण टोला, अमनी बासा, कदवा बासा, करैलिया मुसहरी, चिरौरी गोठ, अजगैवा गोठ, तीनमुही, पैना गोठ, चंदा, कबीर टोला, चैसा पश्चिमी पंचायत के लट्टो बासा, पुनामा बासा, लौआलगान पूर्वी पंचायत के शंकरपुर, अभिराम सिंह बासा, जय रामपुर टोला, तुलसी पुर टोला, सिंधिया टोला, लौआलगान पश्चिमी पंचायत के खोपरिया, बिनटोली, पौरा टोला, चंडी टोला मुसहरी, घोषई पंचायत के बड़की बढौना, कनुवा रही सहित कई इलाको में भारी तबाही मची हुई है। एक दर्जन से अधिक घर कभी भी कोसी में समा सकते हैं। अजगैवा, तीनमुही, मोरसंडा, चिरौरी, राम टोला, धानेमाने डीह, सपनी मुसहरी, घसकपुर, पनदही बासा, झंडापुर बासा, तियर टोला के पशुपालक ऊंचे स्थानों पर जा रहे हैं।
बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में आवागमन एवं माल मवेशियों को लेकर भयावह स्थिति बनती जा रही है। ईलाके के कई गांवो में घिरा बाढ़ की पानी से जहां एक ओर लोगो की जीविका पार्जन में परेशानी होना शुरू हो गया है। वहीं दूसरी ओर लोग अपने माल मवेशी की चारा के लिए कई पशुपालक या तो पशु लेकर ऊँचे स्थान की तरफ निकल रहे है या फिर कुछ किसान दूर- दूर से नांव पर चारा लाने में जुटे हुए है। हांलांकि इस ईलाके में प्रत्येक वर्ष त्योहार की तरह आने वाली बाढ़ से निपटने के लिए पूर्व से सूखे भोजन मकई के आटा,सत्तू को तैयार कर पर्याप्त मात्रा रख कर इन दिनो विशेष परिस्थत प्रयोग में लाते है।
यहां के लोगों के समक्ष समस्याएं अनेक हैं, लेकिन इसकी परवाह किसी को नही है। हाथ में कुदाल और झोले में बीज, खेत में काम करना और रात को रूखा सूखा खाकर भगवान को याद करते हुए नींद में चले जाना। यह यहां के लोगों की नियति बनी हुई है। चिंता यदि है तो सिर्फ अपने बेटे और बेटियों की शिक्षा और शादी की। यहां कोई अपने बेटे और बेटियों को शादी नहीं करना चाहते हैं। आज भी दुल्हन को पैदल ही अपने ससुराल जाना पड़ता है। गांव के लोगों के चेहरे पर पिछड़े क्षेत्र में रहने का मलाल तो साफ नजर आता है लेकिन जुबान खामोश रहती है। यहां के लोग इतने दर्द अपने अंदर समेटे हैं।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय तियर टोला, नवप्राथमिक विद्यालय झंडापुर, उत्क्रमित मध्य विद्यालय पनदही बासा, उत्क्रमित मध्य विद्यालय सपनी, नवप्राथमिक विद्यालय धसकपुर, पिहोरा बासा में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। पानी के प्रवेश से विद्यालय को पूर्णतः बंद कर दिया गया है।
अंचल अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं हैं पीड़ित लोगों को सरकारी स्तर से आवश्यक सहायता दी जाएगी।चैसा के आठ पंचायत के निचले हिस्से में पानी का प्रवेश किया है। आवागमन की स्थिति को देखते हुए 33 नावों का परिचालन किया जा रहा है।जरूरी पड़ने पर और चलाया जाएगा। बाढ़ की ऐसी स्थिति नही है कि लोगों को राहत एवं पुर्नवास कार्यक्रम चलाया जा सके।बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र पर पूरी तरह से निगरानी की जा रही है।