प्रयागराज। भारतीय संस्कृति में धर्म और प्रकृति के बीच पूरकता का संबंध है। प्राकृतिक उपादानों को धार्मिक प्रतीकों के साथ जोड़कर प्रकृति संरक्षण का जो संकल्प हमारी धार्मिक परम्पराओं और विश्वास में निहित है उसे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और समृद्ध कर रही है। सरकार की इस सोच को धरातल में उतारने के लिए महाकुंभ में बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है।
संस्कृति में पेड़-पौधों नदी-पर्वत ग्रह-नक्षत्र अग्नि-वायु सहित प्रकृति के विभिन्न रूपों को धार्मिक प्रतीकों और मानवीय रिश्तों से जोड़कर प्रकृति के संतुलन का जो संदेश छिपा है उसमें पवित्र नदियों के किनारे महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक समागम भी शामिल हैं। इसी संदेश को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ में बर्ड फेस्टिवल का आयोजन कर रही है।
प्रकृति संरक्षण का मंच बनेगा महाकुंभ
भारतीय संस्कृति की पहचान प्रकृति संरक्षण की संस्कृति के रूप में भी की जाती है। इस संस्कृति में पेड़-पौधों, नदी-पर्वत, ग्रह-नक्षत्र, अग्नि-वायु सहित प्रकृति के विभिन्न रूपों को धार्मिक प्रतीकों और मानवीय रिश्तों से जोड़कर प्रकृति के संतुलन का जो संदेश छिपा है उसमें पवित्र नदियों के किनारे महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक समागम भी शामिल हैं।
इसी संदेश को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ में बर्ड फेस्टिवल का आयोजन कर रही है। प्रभागीय वनाधिकारी प्रयागराज अरविंद कुमार बताते हैं कि प्रयागराज महाकुंभ में 1-2 फरवरी, 2025 को बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जाना है। इसका प्रस्ताव शासन के पास भेजा जा रहा है। इसका प्रमुख उद्देश्य प्रकृति और वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति युवाओं में जागरूकता पैदा करना है।