मातंगी देवी की कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी जी, भगवान शिव तथा पार्वती से मिलने हेतु उनके निवास स्थान कैलाश शिखर पर गए. भगवान विष्णु अपने साथ कुछ खाने की सामग्री ले गए तथा उन्होंने वह खाद्य प्रदार्थ शिव जी को भेंट स्वरूप प्रदान की. भगवान शिव तथा पार्वती ने, उपहार स्वरूप प्राप्त हुए वस्तुओं को खाया, भोजन करते हुए खाने का कुछ अंश नीचे धरती पर गिरे; उन गिरे हुए भोजन के भागों से एक श्याम वर्ण वाली देवी ने जन्म लिया, जो मातंगी नाम से विख्यात हुई.
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पार्वती देवी ने, अपने पति भगवान शिव से अपने पिता हिमालय राज के यहां जाकर, अपने माता तथा पिता से मिलने की अनुमति मांगी. परन्तु, भगवान शिव नहीं चाहते थे की वे उन्हें अकेले छोड़ कर जाये. भगवान शिव के सनमुख बार-बार प्रार्थना करने पर, उन्होंने देवी को अपने पिता हिमालय राज के घर जाने की अनुमति दे दी. साथ ही उन्होंने एक शर्त भी रखी कि! वे शीघ्र ही माता-पिता से मिलकर वापस कैलाश आ जाएंगी. तदनंतर, अपनी पुत्री पार्वती को कैलाश से लेने हेतु, उनकी माता मेनका ने एक बगुला वाहन स्वरूप भेजा.
कुछ दिन पश्चात भगवान शिव, बिना पार्वती के विरक्त हो गए तथा उन्हें वापस लाने का उपाय सोचने लगे; उन्होंने अपना भेष एक आभूषण के व्यापारी के रूप में बदला तथा हिमालय राज के घर गए. देवी इस भेष में देवी पार्वती की परीक्षा लेना चाहते थे, वे पार्वती के सनमुख गए और अपनी इच्छा अनुसार आभूषणों का चुनाव करने के लिया कहा. पार्वती ने जब कुछ आभूषणों का चुनाव कर लिया तथा उनसे मूल्य ज्ञात करना चाहा! व्यापारी रूपी भगवान शिव ने देवी से आभूषणों के मूल्य के बदले, उनसे सम्मोह की इच्छा प्रकट की. देवी पार्वती अत्यंत क्रोधित हुई अंततः उन्होंने अपनी अलौकिक शक्तिओं से उन्होंने पहचान ही लिया. तदनंतर देवी सम्भोग हेतु तैयार हो गई तथा व्यापारी से कुछ दिनों पश्चात आने का निवेदन किया.