जल-जीवन-हरियाली अभियान में बना सोख्ता सूखे, बारिश का पानी हो रहा बर्बाद
मुजफ्फरपुर। बिहार सरकार के स्तर पर चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन हरियाली के तहत बारिश के पानी के संचय को लेकर शुरू किये गए वाटर हार्वेस्टिंग अभियान जिले में महज लूट की योजना बनके रह गई है। इस योजना के तहत कराए गए कार्य में भुगतान के बाद भी अभियान अधूरा दिख रहा है। यों कहें कि अभियान पर भ्ररष्टाचार का दीमक लगा हुआ है। विभागीय स्तर पर मिली जानकारी के अनुसार सोख्ता निर्माण कार्य में जहां शिक्षा विभाग की भागीदारी महज 6.63 प्रतिशत है । वहीं स्वास्थ्य विभाग में शत-प्रतिशत, नगर निगम एवं नगर पंचायत क्षेत्र में 98 प्रतिशत कार्य संपन्न बताया गया है। जबकि सच्चाई यह है कि आधे अधूरे कार्य के आधार पर ही पूर्ण भुगतान किए जाने का मामला सामने आया है।
अगर भुगतान के आधार पर हम इन कार्य को पूर्ण मान लें तो नव निर्मित सोख्ता बारिश में सूखे पड़े हैं, जबकि बारिश का पानी यत्र तत्र सर्वत्र बह रहा है। ऐसे में जल संचय की सोंच बेमानी साबित हो रही है। सरकार स्तर पर बताया जाता है कि शिक्षा विभाग को जल जीवन हरियाली योजना के तहत जिले में 2835 सोख्ता बनाने का आदेश मिला था। इस योजना के तहत बारिश के पानी के संचय की सोंच के साथ वैसे भवन जिनका छत तीन हजार स्क्वायर फीट या उससे अधिक के दायरे में था, उसके ऊपर सोख्ता बनाने थे। सोख्ता निर्माण के पीछे मकसद था कि उसके सहारे बारिश का पानी पुनः धरती में संग्रहित हो और वाटर लेवल गिरने की बढ़ती समस्या का निवारण हो सके।
जानकारी के अनुसार योजना के तहत जिले में 188 विधालयों, भवन प्रमंडल विभाग में 542, स्वास्थ्य विभाग में सदर अस्पताल समेत 12 पीएससी भवन, नगर निगम क्षेत्र में तीन, नगर पंचायत मोतीपुर में तीन, कांटी नगर पंचायत क्षेत्र में एक, जबकि ग्रामीण विकास विभाग में 53 सोख्ता का निर्माण कराया गया था। हैरत की बात यह है कि अन्य जगहों की कौन कहे जिला प्रशासन के नाक के नीचे निर्मित सोख्ता में भी जल संचय नहीं हो रहा है। डीएम और एसएसपी आफिस, ग्रामीण कार्य विभाग के भवनों पर निर्मित सोख्ता का भी हाल कमोवेश वैसा ही है। ऐसे में यह कहने में संकोच नहीं है कि जिले में जल जीवन हरियाली अभियान को सतही स्तर पर अमलीजामा पहनाने में या तो कोताही बरती जा रही है या इस योजना को महज लूट का माध्यम बनाया गया है।