- न्यूरोसाइंसेज कोविड अस्पताल में तैनात सिस्टर इंचार्ज मंजुलिका मिश्रा और फार्मासिस्ट नागेंद्र वाजपेई को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है. न्यूरोसाइंस अस्पताल के स्टाफ को बुलाकर बयान दर्ज किए गए थे.
कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर के हैलट अस्पताल में मुर्दों को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने के मामले में जांच कमेटी गठित की गई थी जिसने अपनी जांच पूरी कर के कार्यवाहक प्रिंसिपल डॉ ऋचा गिरी को रिपोर्ट दे दी है. इसमें न्यूरोसाइंसेज कोविड अस्पताल में तैनात सिस्टर इंचार्ज मंजुलिका मिश्रा और फार्मासिस्ट नागेंद्र वाजपेई को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है.
रिपोर्ट में इन दोनों के निलंबन की बात कही गई है. साथ ही न्यूरोसाइंसेज कोविड अस्पताल के अधीक्षक और अस्पताल के सभी 4 फ्लोर्स पर तैनात तैनात दो-दो नर्सिंग स्टाफ को शो कॉज नोटिस भी दिया गया है. इनसे 24 घंटे में जवाब मांगा गया है.
मृत होने के बाद भी रेमडेसिविर इंजेक्शन इश्यू होते रहे
हैलट की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ ज्योति सक्सेना की अगुवाई में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ एके आर्या और चीफ फार्मेसिस्ट राजेंद्र पटेल की कमेटी इस बात की जांच कर रही थी कि आखिर मृत होने के बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन कैसे इश्यू होते रहे. टीम ने न्यूरोसाइंस अस्पताल के स्टाफ को बुलाकर बयान दर्ज किए थे. खास तौर पर नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट और वार्ड बॉय से इस बाबत पूछताछ की गई थी.