लखनऊ, सपा के संस्थापक संरक्षक और उत्तर प्रदेश के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद रिक्त हुई समाजवादी पार्टी की सुरक्षित लोकसभा सीट मैनपुरी और आजम की सदस्यता रद होने के बाद खाली हुई रामपुर विधानसभा सीट अब किसकी झोली में गिरेगी।
मैनपुर और रामपुर सीट मानी जाती है सपा का गढ़
चुनाव आयोग ने मैनपुरी लोकसभा सीट और आजम खान की सदस्यता रद किए जाने के बाद खाली हुई रामपुर सीट पर उपचुनाव की घोषणा कर दी है। लम्बे अर्से से दोनों सीटें सपा के कब्जे में रहीं हैं। ऐसे में अब सपा के दो कद्दावर नेताओं की छत्रछाया से खाली हुई इन दोनों सीटों पर अखिलेश यादव किसे प्रत्याशी बनाएंगे यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।
अखिलेश के सामने होगी प्रत्याशी के चयन को लेकर चुनौती
समाजवादी पार्टी के लिए पिछले नौ लोकसभा चुनाव में अभेद्य दुर्ग रही मुलायम सिंह यादव की मैनपुरी अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। उपचुनाव की घोषणा के बाद अखिलेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रत्याशी के चयन को लेकर होगी।
ये हैं मैनपुरी लोकसभा सीट से सपा के संभावित उम्मीदवार
मैनपुरी लोकसभा सीट के लिए परिवार के ही चार दावेदार हैं। इनमें मुलायम के भतीजे धर्मेंद्र यादव, पौत्र तेज प्रताप सिंह यादव, भाई शिवपाल सिंह यादव व बहू डिंपल यादव हैं। मुलायम के न रहने पर अखिलेश को पार्टी के साथ ही परिवार को भी साधना है। ऐसे में अब इस सीट से अखिलेश किसे प्रत्याशी बनाते हैं यह जल्द ही पता चल जाएगा।
रामपुर सीट से अखिलेश किसे बनाएंगे प्रत्याशी
वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां को भड़काऊ भाषण देने के मामले में हुई तीन साल की सजा के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद होने के चलते रिक्त हुई रामपुर विधानसभा सीट भी सपा का गढ़ मानी जाती है। उपचुनाव की घोषणा होते ही इस सीट से अखिलेश किसे उम्मीदवार बनाएंगे इसकी चर्चा जोरों पर है।
रामपुर सीट पर है कई सालों से आजम का दबदबा
रामपुर विधानसभा सीट पर सपा के संस्थापक सदस्य और कद्दावर नेता मोहम्मद आजम खान का दबदबा माना जाता है। आजम खान रामपुर से 9 बार विधायक चुने गए हैं। 2012 विधानसभा चुनाव में इस सीट पर सपा के कद्दावर नेता आजम खान चुनाव जीतकर विधायक बने थे। उन्होंने कांग्रेस के डा . तनवीर अहमद को हराया था।
2017 में विधायकी और 2019 में जीती थी लोक सभा सीट
2017 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बार फिर इस सीट से सपा नेता आजम खान चुनाव जीतकर विधायक बने। उन्होंने चुनाव में भाजपा के शिव बहादुर सक्सेना को हराया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से विधायक रहे मोहम्मद आजम खान ने 2019 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़कर संसद पहुंचे, जिससे यह सीट खाली हो गई और यहां उपचुनाव कराया गया।
2022 में फिर विधायक बने आजम तो दिया था लोकसभा से इस्तीफा
2019 में हुए उपचुनाव में इस सीट पर आजम खान की पत्नी डा. तंजीन फात्मा विधायक बनीं। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी भारत भूषण गुप्ता को हराया था।। डा. तंजीन फात्मा 2022 तक विधायक रहीं। मार्च 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने जेल से चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना को हराकर विधायक बन गए। विधायक बनने के बाद उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद हुए लोकसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी सांसद बने।