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मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग मिल कर करे काम तो मिल सकता है सस्ता और अच्छा इलाज-प्रोफेसर चतुर्वेदी



इण्डियन कॉलेज ऑफ कॉर्डियोलॉजी द्वारा आयोजित हृदय रोग विशेषज्ञों के ३२ वें वार्षिक सम्मेलन आईसीसीकॉन – २०२५ के दूसरे दिन दीक्षान्त समारोह आयोजित हुआ। समारोह में देशभर के १३ विशिष्ट कॉर्डियोलॉजिस्ट को उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए उन्हें विशेष एफआईसीसी फेलोशिप अवार्ड दिया गया। मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्ववविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी ने उन्हें होटल ताज में आयोजित भव्य समारोह में यह अवार्ड दिया गया। इस मौके पर डॉक्टरो को संबोधित करते हुए प्रो.अजीत कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि देश मे एक बड़ी आबादी अभी भी महंगे स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण उचित इलाज से दूर है, ऐसे में मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग मिल कर काम करें तो हम समाज के लिए काफी सस्ता और उच्च तकनीकी इलाज, उपकरण और दवाइयां उपलब्ध करा सकते है। उन्होंने यह भी कहा की डॉक्टर्स कार्य के प्रति समर्पण ही मरीजों की जान बचाता है जिसमें वे कभी भेदभाव नही करते। इसके पूर्व अवार्ड प्राप्त करने वाले डॉक्टरों को अध्यक्ष डॉक्टर एस एन रौत्रेय ने शपथ दिलाई। स्वागत सचिव डॉक्टर एनएन खन्ना, संचालन डॉक्टर सीएम नागेश एवं संयोजन डॉक्टर नातेश ने किया। समारोह में निर्वाचित अध्यक्ष डॉक्टर के.एच श्रीनिवास, डॉक्टर राजीव कुमार राजपूत भी मंच पर मौजूद रहे।
दिनभर चलता रहा विमर्श
इंडियन कॉलेज ऑफ कॉर्डियोलॉजी के तीन दिवसीय सम्मेलन में देश के जाने माने कॉर्डियोलॉजिस्ट और वैस्क्युलर सर्जन ने विभिन्न सत्रों में विचार रखें। जयदेवा इंस्टिट्यूट ऑफ कॉर्डियोलॉजी, बंगलुरू के पूर्व अध्यक्ष एवं लोकसभा सांसद डॉक्टर सीएम मंजूनाथ ने रूमेटिक वॉल्व के सिकुड़ने पर उसे बैलून डाल कर फुलाने की प्रक्रिया में कॉम्प्लेक्स बैलून मैथेड के सरलीकरण की बात कहीं, इसके साथ ही उन्होंने सरकारों से हार्ट अटैक में गोल्डन ऑवर के समय हब और स्पोक के प्रयोग को पूरे देश मे लागू करने की बात कही, उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता है तो ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सकती है। अपोलो इंद्रप्रस्थ के विख्यात कॉर्डियोलॉजिस्ट एवं अब तक देश में सबसे ज्यादा १००० से अधिक हार्ट आर्टरीज अयोटा की सर्जरी करने वाले डॉक्टर एनएन खन्ना ने कहा कि अयोटा में ब्लॉकेज से ही आइंस्टीन और जवाहरलाल नेहरू की मौत हुई थी, इस पर अब काफी नई तकनीक से काम किया जा रहा है, जिसमे सर्जरी संभव नही है उसमें इंडो वैस्क्युलर तकनीक से बिना किसी चीरे के ठीक किया जा रहा है। इसमें सक्सेस रेट ९९ फीसदी है। फोर्टिस के निदेशक जेड एस मेहरवाल ने जिन मामलों में हार्ट ट्रांसप्लांट करने की जरूरत हो और डोनर उपलब्ध ना होने पर एल वेड तकनीक से उसे दो-तीन साल तक संभाला जा सकता है पर विचार रखा।
मेक इन इण्डिया को बढ़ावा देने पर हुई चर्चा
सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इण्डिया मुहिम को डॉक्टर्स का जबरदस्त समर्थन मिला है। डॉक्टर एन एन खन्ना ने बताया कि इण्डियन स्टेन्ट अब ८-१० हजार में उपलब्ध हो रहे है जिन्हें विदेशी स्टेन्ट के बराबर लाने पर तैयारी चल रही है, इसके अलावा इंटरवेंशन सर्जरी में प्रयोग होने वाली ५० फीसदी दवाइयां और समान अब भारत मे बनने लगे है, एल वेड, ग्राफ्ट के अलावा इण्डियन पेस मेकर और वाल्व बनाने की तैयारी है।
विदेशी डॉक्टर्स ने भी रखे विचार
सम्मेलन में अमेरिका के राज मक्कड़ ने बिना सर्जरी के वाल्व बदलने पर, रमेश दुग्गबति ने एंजियोप्लास्टी की नवीन तकनीक पर और दुबई के राजीव लोचन ने बैलून एंजियोग्राफी के शुरुआत की बात कही। इसके अलावा दूसरे दिन १०० से ज्यादा शोध पत्र प्रस्तुत किये गए।
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