अंबेडकरनगर। बहुजन समाज पार्टी का गढ़ रहे अंबेडकरनगर के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में भले ही इसके मजबूत पिलर उखड़ चुके हैं, लेकिन इसका जनाधार आज भी चुनावी परिणाम को बदलने की ताकत रखता है। ऐसे में भाजपा और सपा की नजर बसपाई जनाधार पर लगी है। वहीं, बसपा अपने जनाधार को समेटने की जुगत में जुटी है। वर्ष 2017 के चुनाव में 84,358 वोट और वर्ष 2022 में 93,524 वोट पाकर उम्मीदवार विजेता घोषित हुए थे। ऐसे में अनुसूचित जाति के यहां लगभग 95 हजार मतदाता अकेले ही विजय दिला सकते हैं।
बसपा का गढ़ रहे अंबेडकरनगर के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में भले ही इसके मजबूत पिलर उखड़ चुके हैं लेकिन इसका जनाधार आज भी चुनावी परिणाम को बदलने की ताकत रखता है। ऐसे में भाजपा और सपा की नजर बसपाई जनाधार पर लगी है। उपचुनाव में पहली बार उतरी बहुजन समाज पार्टी के अपने कोर वोटरों के जनाधार को सहेजने में तीसरे मोर्चे पर डटी।
भाजपा-सपा में सीधी टक्कर
त्रिकोणीय चुनावी समीकरण अब सत्तादल भाजपा एवं मुख्य प्रतिद्वंदी दल सपा के बीच आमने-सामने की टक्कर के बीच दिखने लगा है। दोनों दलों के स्थानीय, आसपास के जनपदों तथा प्रांतीय कद्दावर नेता भी उपचुनाव को धार देने में कूद पड़े हैं। दोनों दलों के अपने-अपने जनाधार के बाद भी जीतने के लिए बसपाई जनाधार की जरूरत होगी। ऐसे में भाजपा-सपा के बीच कांटे की टक्कर को चुनावी परिणाम को जीत में बदलने के लिए बसपा के कोर वोटरों का सराहा चाहिए। लिहाजा दोनों दलों की नजर बसपा के वोटरों पर टिकी है।