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रत्नेश सदा रिक्शा चालक रह चुके नीतीश के ये नए मंत्री कैसे काटेंगे मांझी का दलित वोट


पटना, । जदयू विधायक रत्नेश सदा नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल हो गए। राज्यपाल विश्वनाथ अर्लेकर ने शुक्रवार को राजभवन के दरबार हॉल में रत्नेश सदा को मंत्री पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने HAM प्रमुख जीतनराम मांझी के बेटे संतोष मांझी के इस्तीफे के बाद सोनबरसा विधायक रत्नेश सदा को मंत्री बनाया है। ऐसे में सियासी जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार ने मांझी के दलित वोट काटने के लिए रत्नेश सदा को सरकार में शामिल किया है।

रत्नेश जीतनराम मांझी की तरह ही दलित समुदाय के नेता हैं। वे मुसहर समाज से आते हैं। ऐसे में चर्चा है कि रत्नेश सदा जीतनराम मांझी की जगह एक अच्छा रिप्लेसमेंट साबित हो सकते हैं।

मंत्री बनने के पहले हाल ही जीतनराम मांझी को लेकर रत्‍नेश सदा के तेवर तीखे दिखे थे। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने मांझी को शेर की खाल ओढ़े भेड़िया बताया था।

उन्होंने यह भी कहा था कि मांझी ने मुसहर समाज के लिए कोई काम नहीं किया। ऐसी कोई लकीर भी नहीं खींची, जिसे याद किया जाए।

उनके राजनीतिक जीवन की बात करें तो 49 साल के रत्नेश ने 2020 के विधानसभा चुनाव में सोनवर्षा विधानसभा सीट से जदयू प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी तरनी ऋषिदेव को 13466 वोट से हराया था।

रिक्शा चलाकर पाला परिवार का पेट

बताया जाता है कि रत्नेश का जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा। उनके पिता लक्ष्मी सदा मजदूर थे। राजनीति में आने से पहले वे खुद रिक्शा चलाकर गुजारा करते थे।

इसके बाद वे राजनीति में आ गए। करीब 30 साल के सार्वजनिक-राजनीतिक जीवन के दौरान वे जदयू में उपाध्यक्ष, प्रदेश महासचिव सह सुपौल जिला संगठन प्रभारी समेत कई अन्य पदों पर रहे।

तीन बार से विधायक

वे पहली बार साल 2010 में विधायक बने। उस समय से वे लगातार तीसरी बार विधायक बने हैं। अब उन्हें नीतीश मंत्रिमंडल में जगह मिली है।

करोड़पति हैं रत्नेश सदा

साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में दिए शपथ पत्र के अनुसार, रत्‍नेश सदा के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। उनकी कुल चल-अचल संपत्ति 1.30 करोड़ की है।