नई दिल्ली, । कांग्रेस तमाम मतभेदों के बीच राजस्थान विधानसभा एकजुट होकर लड़ने जा रही है। काफी समय से सीएम अशोक गहलोत और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच चल रही खींचातान अब खत्म हो गई है। इस बात की पुष्टि खुद पायलट ने ताजा इंटरव्यू में की है।
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने शुक्रवार (15 सितंबर) को इस बात पर जोर दिया कि पार्टी राजस्थान विधानसभा चुनाव ‘एकजुट होकर’ लड़ेगी। उन्होंने कहा कि अगली सरकार का नेतृत्व कौन करेगा इस पर निर्णय आलाकमान नवनिर्वाचित विधायकों के साथ परामर्श के बाद लेगा।
हम पूरी तरह से एकजुट हैं- पायलट
राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस राजस्थान में सरकार को दोहराने की दिशा में सभी की प्राथमिकता और प्रयासों के साथ “पूरी तरह से एकजुट” है। समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ बातचीन में पायलट ने कहा, “कांग्रेस 2018 के राजस्थान चुनावों में किए गए सभी चुनावी वादों पर खरी उतरी है और यही कारण है कि राज्य सरकार और हमारी पार्टी मिलकर काम कर रही है। हम चुनाव में बीजेपी को हराएंगे।”
उनके पहले के दावे के बारे में पूछे जाने पर कि अशोक गहलोत के मौजूदा मुख्यमंत्री के बावजूद पार्टी सामूहिक नेतृत्व के साथ चुनाव में उतरेगी। इसपर पायलट ने कहा कि यह न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देश में कांग्रेस की परंपरा रही है।
यह कोई नई बात नहीं है…
उन्होंने कहा, “एक बार जब हम जीत जाते हैं और बहुमत प्राप्त कर लेते हैं तो विधायक और पार्टी नेतृत्व तय करते हैं कि विधायक दल का नेतृत्व कौन करेगा। यह कोई नई बात नहीं है। यह दशकों से प्रथा रही है और हम कुछ महीनों में चुनाव राज्यों में चुनाव लड़ने जा रहे हैं, वहां यही नीति अपनाई जाएगी।”
हमें एकजुट होकर काम करना होगा
राजस्थान में पार्टी के मुख्यमंत्री चेहरे के बारे में पूछे जाने पर सचिन पायलट ने कहा, “पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और सोनिया गांधी हमारे नेता हैं और राजस्थान में हमारी कांग्रेस की सरकार है। इसलिए हमें एकजुट होकर प्रभावी ढंग से बहुमत जीतने के लिए काम करना होगा।”
बहुमत पाने के बाद विधायक और नेतृत्व नेता का निर्णय करेंगे
पायलट ने आगे कहा, “राजस्थान में बहुमत पाने के बाद विधायक और नेतृत्व नेता का निर्णय कर लेंगे। यहां तक कि पिछली बार 2018 में जब मैं राज्य में पार्टी प्रमुख था, तब भी हमारे पास सीएम का कोई चेहरा नहीं था। चुनाव के बाद विधायकों और नेतृत्व ने फैसला किया था।”
उन्होंने कहा कि एक बार जब हमें बहुमत मिल जाएगा तो विधायकों से सलाह ली जाएगी। नेतृत्व इस पर विचार करेगा और तय करेगा कि सरकार का नेतृत्व कौन करेगा। यह कोई नई बात नहीं है और हमेशा से ऐसा ही होता आया है।