जयपुर। राजस्थान में दौसा जिले के एक निजी अस्पताल की महिला चिकित्सक के आत्महत्या का मामला गरमा गया है। जयपुर सहित पूरे राज्य में सरकारी और गैर सरकारी चिकित्सकों ने इस घटना के विरोध में बुधवार को कार्य का बहिष्कार किया। निजी अस्पताल बंद रहे। वहीं, सरकारी चिकित्सकों ने दो घंटे का कार्य बहिष्कार किया। चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि घटना दुखद है। उन्होंने प्रशासनिक लापरवाही बताते हुए कहा कि चिकित्सक के खिलाफ धारा-302 के तहत मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए था।
जानें, क्या है मामला
दरअसल, चिकित्सा मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र लालसोट के आन्नद अस्पताल में दो दिन पहले प्रसूता की मौत हो गई थी। नवजात पूरी तरह से सुरक्षित है। मौत के बाद स्वजन प्रसूता का शव घर ले गए, लेकिन अंतिम संस्कार से पहले कुछ लोगों ने इस मामले में महिला चिकित्सक डा. अर्चना शर्मा को दोषी मानते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। डा. अर्चना शर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत केस दर्ज करवाया गया है। खुद पर प्रसूता की मौत का आरोप लगने से परेशान अवसाद में आई डा. अर्चना ने मंगलवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। निजी अस्पताल संचालकों और चिकित्सकों से जुड़े संगठन प्राइवेट हास्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स सोसायटी (पीएचएनएचएस), जयपुर मेडिकल एसोसिएशन (जेएमए) और मेडिकल प्रैक्टिशनर सोसायटी (एमपीएस) ने इस मुद्दे पर विरोध जताते हुए बंद का आह्वान किया। पीएचएनएचएस के सेक्रेटरी डा. विजय कपूर ने कहा कि निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद रही। केवल इनडोर मरीज और इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को ही देखा गया। उन्होंने बताया कि इस मामले में हमने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द दोषी पुलिसकर्मियों को तुरंत निलंबित कर गिरफ्तार किया जाए। पुलिस द्वारा प्रताड़ित करने के कारण डा. अर्चना ने आत्महत्या की। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने लालसोट में धरना देकर डा. अर्चना को प्रताड़ित करने वालों को गिरफ्तार करने की मांग की।