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राष्ट्रीय चरित्रके निर्माणको हुई विद्यापीठ की स्थापना-डॉक्टर सूर्यभान


वाराणसी, काशी विद्यापीठ के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा मंगलवार को विश्वविद्यालय के संस्थापक और स्वतंत्रता सेनानी राष्ट्ररत्न बाबू श्री शिव प्रसाद गुप्त जी की १३९ वीं जन्म जयंती समारोह आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉक्टर सूर्यभान प्रसाद ने कहा कि श्राष्ट्ररत्नश् बाबू शिव प्रसाद गुप्त जी ने जहां एक तरफ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए महामना मदन मोहन मालवीय को एक लाख एक हजार का प्रथम योगदान किया। वहीं असहयोग आंदोलन के दौरान आध्यात्म की नींव पर प्रतिष्ठित भारतीय शिष्टता के संस्कारों से युक्त राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण हेतु काशी विद्यापीठ के साथ ही साथ कालांतर में भारत माता मंदिर की स्थापना की। शैक्षिक, राजनैतिक, सामाजिक जागरण के लिए ज्ञानमंडल प्रकाशन के माध्यम से विभिन्न विषयों के हिंदी ग्रंथों तथा आज समाचार-पत्र का प्रकाशन शुरू किया।गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित श्सेवा उपवनश् उन्होंने राष्ट्र सेवा में समर्पित कर रखा था। उन्होंने कहा कि देश के पहले गांधी आश्रम की स्थापना के लिए अकबरपुर तहसील मुख्यालय पर स्थित अपनी भूमि दान कर दी।देश की स्वतंत्रता और देशवासियों के चरित्र निर्माण के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाली महान विभूति को कृतज्ञतापूर्वक नमन। शिव प्रसाद गुप्त ने ब्रिटिश शिक्षा के विकल्प के रूप में राष्ट्रीय शिक्षा को स्थापित किया। वक्ताओं ने कहा कि उनके योगदान से काशी विद्यापीठ की स्थापना हुई जहाँ से निकले राष्ट्रवादियों ने देश की बलिबेदी पर अपने को बलिदान किया। इस कार्यक्रम में उनके द्वारा रचित पुस्तक पृथ्वी प्रदक्षिणा पर विशेष चर्चा हुई जिसमे उनके राष्ट्रीय शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला गया। इस अवसर पर प्रोफेसर मोहम्मद आरिफ, डॉक्टर रेशम लाल, डॉक्टर राजीव कुमार, डॉक्टर पारसनाथ मौर्य ने गुप्त जी के ऊपर अपना उद्बोधन दिया। कार्यक्रम में डॉक्टर रवि प्रकाश सिंह, डॉक्टर विजय कुमार, डॉक्टर मिथिलेश कुमार, डॉक्टर निधि, डॉक्टर ज्योति, डॉक्टर सुमन, डॉक्टर निशा, अभिषेक, आलोक, पदमाकार, अंकिता, अभिलाषा, सहाना आदि उपस्थित रहे। संचालन डॉक्टर पीयूष मणि त्रिपाठी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर जयदेव पाण्डेय ने दिया।