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राहुल गांधी ने किए भगवान महाकाल के दर्शन:रुद्राक्ष की माला पहने नजर आए राहुल; कमलनाथ भी रहे मौजूद


राहुल गांधी ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में आज भगवान महाकाल के दर्शन और पूजा-अर्चना की। राहुल गांधी रुद्राक्ष की माला पहने नजर आए। उन्होंने धोती पहनकर महाकाल की पूजा की। वे 13 मिनट तक गर्भगृह में रहे। उन्होंने साष्टांग दंडवत होकर महाकाल को प्रणाम किया। साथ ही नंदी महाराज के कान में मनोकामना कही। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी उनके साथ थे। राहुल कुछ ही देर में एक सभा को भी संबोधित करेंगे।

मध्यप्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का मंगलवार को सातवां दिन है। यात्रा अभी महाकाल की नगरी उज्जैन में है। इससे पहले उनकी यात्रा सुबह करीब साढ़े 6 बजे सांवेर से शुरू हुई। राहुल के साथ पूर्व सीएम कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और जयराम रमेश समेत कांग्रेस के कई नेता और कार्यकर्ताओं ने पैदल मार्च किया।

रास्ते में यात्रा ने मयंक जाट ढाबे पर टी ब्रेक लिया। यहां राहुल गांधी ने श्रीराम कॉन्वेंट हायर सेकेंडरी स्कूल खरसौद खुर्द बड़नगर के बच्चों के साथ चाय-नाश्ता किया। उन्होंने बच्चों से उनके भविष्य को लेकर बात भी की। टी ब्रेक के दौरान राहुल गांधी, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने बच्चों के साथ डांस किया।

निनोरा में यात्रा का लंच ब्रेक हुआ। राहुल ने तपोभूमि में जाकर जैन संत प्रज्ञा सागर महाराज जी से आशीर्वाद लिया। अब राहुल गांधी महाकाल दर्शन के बाद उज्जैन के ही सामाजिक न्याय परिसर में सभा को संबोधित करेंगे।

इससे पहले कांग्रेस नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि महू में वकीलों ने राहुल गांधी को संविधान की किताब सौंपी थी। कहा था कि जिस तरह आज संविधान की आत्मा को जख्मी किया जा रहा हैं, उसके खिलाफ हम आपके साथ हैं। हमें भरोसा है संविधान की आत्मा को आप जख्मी नहीं होने देंगे। आज किसानों की बातों को गौण बना दिया गया है। पूरे देश में मंदिर-मस्जिद का माहौल बना दिया गया है।

शोभा ओझा ने कहा- बीजेपी की सरकार में लोकतांत्रिक संस्थाओं को कुचल दिया गया है। लोगों को जबरन जेलों में बंद किया गया। भारत जोड़ो यात्रा को समर्थन मिल रहा है। लोग स्वत: जुड़ रहे हैं। हमने प्रशासनिक स्तर पर बसें नहीं लगाईं, न ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बुलाया। शोभा ओझा ने कहा- राहुल गांधी की यात्रा इतिहास में पहली इतनी बड़ी यात्रा है। ये यात्रा राजनीति से बहुत ऊपर उठकर है। इसमें अलग-अलग पार्टी के लोग शामिल हो रहे हैं। आरएसएस के भी कुछ लोग शामिल हुए थे।