नयी दिल्ली(आससे)। कांग्रेस में पार्टी के नये अध्यक्ष को चुनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पार्टी की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी ने इस दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए आज असंतुष्ट नेताओं के साथ एक बैठक की। इस बैठक में राहुल गांधी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य व पदाधिकारी मौजूद रहे। माना जा रहा है कि सोनिया अब जल्द ही पार्टी की कमान एक बार फिर से राहुल के हाथ में सौंप देंगी। मिली जानकारी के अनुसार, बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने अपनी अपनी मांग रखी। बैठक में एक बार फिर राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग हुई। बैठक में हिस्सा लेने के लिए अशोक गहलोत, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, बीएस हुड्डा, अंबिका सोनी और पी चिदंबरम के अलावा कई बड़े नेता सुबह बजे 10 जनपथ पहुंचे। करीब 5 घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने अपनी अपनी बात रखी. बैठक में राहुल गांधी को अध्यक्ष पद संभालने की मांग उठी। अंत में राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी जो जिम्मेदार देगी उसे मैं उठाउंगा। इस पर बैठक में तालियां बजीं। बैठक के बाद कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण हमने पार्टी के भविष्य पर चर्चा की। यह एक रचनात्मक बैठक थी जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की वर्तमान स्थिति और इसे मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। गौरतलब है कि शुक्रवार को सुरजेवाला ने कहा था कि कांग्रेस जल्द ही एक नए पार्टी अध्यक्ष का चुनाव करने की प्रक्रिया शुरू करेगी। कांग्रेस का एक चुनावी कॉलेज, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य, कांग्रेस कार्यकर्ता और पार्टी सदस्य चुनेंगे कि कौन सबसे अनुकूल है। सुरजेवाला कहा था शनिवार से शुरू होने वाली इस प्रक्रिया के तहत सोनिया गांधी अगले 10 दिनों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकें करेंगी। उन्होंने बताया था कि गांधी परिवार के नेता इस दौरान उन 23 असंतुष्टों नेताओं से मिलेंगे जिन्होंने अगस्त में एक पत्र लिखकर संगठनात्मक बदलाव लाने की मांग की थी। बता दें कि 23 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे पत्र में 23 नेताओं ने हस्ताक्षर किए थे। इस विषय पर भी अपनी चिंताओं को लेकर पांच या छह नेताओं का एक कोर समूह सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकता है। उन्होंने कहा था कि मेरे समेत 99.9 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष चुना जाये। अंतिम निर्णय उनका है. राहुल गांधी, जिन्होंने 2017 में सोनिया गांधी से कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला था, लेकिन पिछले साल पार्टी के लोकसभा चुनाव में हार के बाद पद छोड़ दिया था, 2014 में सत्ता खोने के बाद से यह दूसरी हार थी। लोकसभा चुनाव में हार के बाद से कांग्रेस की हार का सिलसिला जारी है। कांग्रेस को कर्नाटक और मध्य प्रदेश में विद्रोह के बाद से सत्ता गंवानी पड़ी। विद्रोह के लगातार खतरों के चलते राजस्थान में पार्टी संघर्ष कर रही है। कांग्रेस ने बिहार चुनाव में खराब प्रदर्शन किया और केरल और राजस्थान जैसे राज्यों में स्थानीय निकाय चुनावों में अपने वोटों का नुकसान होते हुए देखा। कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर शीर्ष पद पर राहुल गांधी की वापसी की मांग की है, लेकिन उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि उनके रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है। हालांकि, राहुल गांधी अभी भी सभी फैसले लेते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर हमलों में पार्टी का चेहरा हैं।
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