रूपौली (पूर्णिया)(आससे)। रूपौली प्रखंड के सभी पंचायतों में आंगनबाड़ी केन्द्रों का सपना बर्षों बीत जाने पर भी अधूरा ही पड़ा है, जिससे जनता के लिए यह सपना कब होगा अपना। मिली जानकारी के अनुसार सरकार सम्पोषित योजना के तहत् तेरहवीं वित्त योजना से 43 जगहों पर निर्माण कार्य अधूरा है। अस्तित्व में आने से पूर्व ही यहाँ के अर्द्धनिर्मित केन्द्रों पर काई और लता झाड़ियो का साम्राज्य कायम हो चुका है, जबकि हर केन्द्र के लिए आवंटित राशि का भुगतान कर लिया गया है।
गोड़ियर पूरब पंचायत में पंचवर्षीय 2011 – 16 के बीच तीन आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण कार्य किया जाना था।किन्तु दो भवनों में एक आदर्श मध्य विद्यालय गोड़ियर प्रांगण और एक तिरासी टोला में अर्द्धनिर्मित अवस्था तथा एक भवन का शिलान्यास तक नहीं किया जा सका है। जबकि भवन निर्माण कार्य से जुड़े आवंटित राशियों का सम्पूर्ण उठाव कर बंदरबांट कर लिया गया है। जो सरकारी राशि का दुरुपयोग नहीं तो और क्या है ?
बता दें कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में एम.एस.डी.पी. योजना से 8 ऐसे केन्द्रों का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। जो कि अपने मूल स्वरूप में आने से पहले ही पंचायत सचिवों की लालफीताशाही की भेंट चढ कर रह गई है। जिसमें पंचायत लक्ष्मीपुर छर्रापट्टी 02, भिखना में-01, बसन्त पुर में- 01, रामपुर परिहट में-01, कोयली सिमड़ा पश्चिम-01, बिजय मोहनपुर-01 और रूपौली धोबगिद्धा में-01 का निर्माण होना शामिल था, जो अधूरा पड़ा मुँह चिढा रहा है। जिसमें एक केन्द्र के लिए 4 लाख 63 हजार रुपये की राशि आवंटित थी और राशि का उठाव कर बंदर बांट होकर रह गया है।
वहीं दूसरी ओर मॉडर्न आंगनबाड़ी के निर्माण के लिए सरकार द्वारा आवंटित राशि 7 लाख 48 हजार रुपये की है। प्रखंड क्षेत्र के अन्तर्गत वर्षों बीत जाने के बाद भी एक भी केंद्र का निर्माण पूर्ण रूप से नहीं हो पाया है, जबकि निर्माण के लिए पंचायत के सचिव ही पदेन अभिकर्ता के रूप में थे।
मॉडल आंगनबाड़ी भवन निर्माण के लिए आवंटित कुल राशि 7 लाख 48 हजार रुपये में से ही जिला से निमित्त निर्गत एजेंसियों के द्वारा केन्द्रों के मेटल शेड के लिए 2 लाख 42 हजार 222 रूपये और दरवाजे तथा खिड़की के लिए 63 हजार रुपये की राशि लगायी जानी थी। किस कारण वर्षों दर वर्ष बीत जाने पर भी काम पूरा नहीं किया जा सका है।
बाल विकास पदाधिकारी रुपौली रंजना वर्मा ने बताया की प्रखंड क्षेत्र में कुल 51 केंद्रों का निर्माण अधूरा पड़ा है। जिसमें 43वीं वित्त और 8 एमएसडीपी योजन्तर्गत बनाया जाना तय था। जो अभी तक अपूर्ण की स्थिति में पड़ा है। जिसकी लिखित सूचना जिला प्रोग्राम पदाधिकारी पूर्णिया को सूचनार्थ प्रेषित कर दिया गया है।