- मास्को, । कोरोना की स्पुतनिक वी वैक्सीन के लिए प्रमुख क्लिनिकल अध्ययन करने वाले रूसी वैज्ञानिकों ने वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के अंतरिम परिणामों पर गंभीर चिंता जताने वाले वैज्ञानिकों को जवाब देते हुए कहा कि उनका डेटा स्पष्ट और पारदर्शी मानकों से मिलता है…उसे नियामक समीक्षा और अप्रूवल के लिए पर्याप्त माना जाता है।
आपको बता दें कि अमेरिका, नीदरलैंड्स, इटली, फ्रांस और रूस के विश्वविद्यालयों ने स्पूतनिक वी वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण पर विशेष रूप से डेटा की विसंगतियों, परीक्षण प्रोटोकॉल, डेटा की सटीकता और गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए थे, जिनके आधार पर वैक्सीन की प्रभावकारिता का निष्कर्ष निकाला गया।
वैज्ञानिकों ने वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण के परिणामों को भी सवाल उठाएं हैं, जिसके परिणाम बुधवार को ‘द लैंसेट’ पत्रिका में छपे थे। उन्होंने वैक्सीन के प्राथमिक परिणाम में परिवर्तन और सितंबर में दर्ज की गई टीके की प्रभावकारिता पर भी सवाल उठाए।
वैज्ञानिकों ने कहा कि प्राथमिक परिणाम का मूल्यांकन पहली खुराक के बाद किया जाना था लेकिन दूसरी खुराक के बाद मूल्यांकन स्थगित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैक्सीन की जो प्रभावकारिता (91.6%) बताई जा रही है वह इसी परिवर्तन पर निर्भर है, लेकिन परिवर्तन के कारणों को नहीं बताया गया है।
वैज्ञानिकों ने वैक्सीन को लेकर जरूरी जानकारियों जैसे परीक्षण में भाग लेने वाले प्रतिभागियों में संदिग्ध कोविड-19 का निर्धारण करने वाले क्लिनिकल पैरामीटर और नैदानिक प्रोटोकॉल की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाए, जो यह बताने के लिए आवश्यक होते हैं कि वैक्सीन किसी भी बीमारी के लिए कितनी प्रभावी है। उन्होंने वैक्सीन के ट्रायल में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के नामांकन और रेंडोमाइजेशन पर भी चिंता व्यक्त की और एक स्पष्ट विसंगति को इंगित किया जिसे क्लिनिक clinicaltrials.gov. के साथ शेयर किया गया। वैज्ञानिकों ने अध्ययन के 10 और 20 दिनों के बीच टीकाकरण किए गए लोगों की संख्या में विसंगति पर भी चिंता व्यक्त की।