नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन जंग के बीच सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा के मतदान में भारत के तटस्थ रुख का कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने पूरा समर्थन किया है। विदेश मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्षी नेताओं के इस मुद्दे पर निकले एक सुर ने एक बार फिर साफ कर दिया कि वैश्विक कूटनीति के मुश्किल दौर में राजनीतिक मतभेदों की दीवार भारत के राष्ट्रीय हितों के आड़े नहीं आती है।
प्रयासों की सराहना
यूक्रेन में फंसे छात्रों की निकासी से जुड़ी चिंताओं और स्वाभाविक सवालों के अलावा विपक्षी नेताओं ने भी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। हाल के दिनों में विपक्षी नेताओं पर आक्रामक रहे विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने भी रूस-यूक्रेन युद्ध संकट पर सरकार और विपक्ष के सुर एक होने का संदेश देते हुए कहा कि बातचीत और कूटनीति के महत्व पर राष्ट्रीय सहमति है।
भारत किसी एक खेमे का हिस्सा नहीं
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस बैठक के दौरान सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट महासभा के मतदान से अनुपस्थित रहने के भारत के रुख को सही ठहराते हुए कहा कि रूस-यूक्रेन के इस युद्ध में भारत किसी एक खेमे का हिस्सा नहीं हो सकता। भारत अपनी तटस्थता और सद्भाव के सहारे दोनों देशों को बातचीत के रास्ते पर लाने में भूमिका निभा सकता है।
भारत को अपने हित देखने हैं
राहुल ने यह भी कहा कि भारत को अपने हित देखने हैं। रूस से हमारे पुराने गहरे मैत्रीपूर्ण व विश्वसनीय रणनीतिक रिश्ते हैं। चीन-पाकिस्तान की सांठगांठ के परिप्रेक्ष्य में रूस हमारे लिए महत्वपूर्ण है और हम उसके खिलाफ वोट नहीं कर सकते।
राहुल की बातों का समर्थन
संसदीय सलाहकार समिति के सदस्य पूर्व विदेश मंत्री कांग्रेस नेता आनंद शर्मा और शशि थरूर ने भी राहुल गांधी की बातों का समर्थन किया। शर्मा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस की वीटो पावर चीन-पाकिस्तान की भविष्य की किसी सांठगांठ को नाकाम करने के लिए अपरिहार्य है।
भारत यूक्रेन नहीं
सूत्रों के अनुसार यूक्रेन पर रूस के हमले से उदाहरण लेते हुए चीन के भारत से खुराफात करने की आशंका का राहुल ने जब सवाल उठाया तो जयशंकर ने साफ कहा कि भारत, यूक्रेन नहीं है।
समर्थन का स्पष्ट संदेश
विदेशमंत्री जयशंकर ने कहा कि भारतीयों को यूक्रेन से लाने के प्रयासों को लेकर मजबूत और सर्वसम्मत समर्थन का स्पष्ट संदेश मिला। विदेशमंत्री ने इसके लिए सभी नेताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि डायलाग और डिप्लोमेसी की अहमियत पर राष्ट्रीय आम सहमति है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी बैठक के बाद कहा कि हम सब इस मसले पर एकजुट हैं।
सद्भावपूर्ण माहौल में बेबाक चर्चा
थरूर ने इसके बाद अपने ट्वीट में कहा कि राहुल गांधी और आनंद शर्मा समेत छह पार्टियों के नौ सांसद बैठक में शामिल हुए और सद्भावपूर्ण माहौल में बेबाक चर्चा हुई। विदेशमंत्री को धन्यवाद देते हुए थरूर ने कहा कि विदेश नीति का संचालन इसी तरीके से किया जाना चाहिए। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी बैठक को बेहद अच्छा बताते हुए कहा कि हम सभी सरकार के साथ एकजुट हैं।
प्रयासों को सराहा
कूटनीति के अहम पहलू पर सामने आई इस एकजुटता के बीच बैठक के दौरान यूक्रेन में फंसे छात्रों की निकासी को लेकर सांसदों ने कुछ सवाल जरूर किए। राहुल गांधी और थरूर आदि ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की आशंका गहराने का आकलन करने के बावजूद छात्रों की निकासी के लिए दिशा-निर्देश जारी करने में देरी हुई। हालांकि युद्ध के हालात में आदर्श स्थिति नहीं होने की बात सभी ने मानी और राहुल समेत सभी सांसदों ने मुश्किलों के बावजूद छात्रों की सुरक्षित स्वदेश वापसी के लिए विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के दिन-रात किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।