रेलवे के अधिकारियों ने बताया आईपैड के आकार की रेलवे की नई डिवाइस हैंड हेल्ड टर्मिनल (Hand Held Terminals, HHTs) में पहले से लोड की गई ट्रेनों के लिए यात्री आरक्षण चार्ट फीड होते हैं। इस डिवाइस की खासियत यह है कि आपको कागजी चार्ट की छानबीन से गुजरने की जरूरत नहीं होती। टिकट चेकिंग कर्मचारी इसके जरिए सीटों की रीयलटाइम जानकारी अपडेट करते हैं। यह डिवाइस ट्रेन में मौजूद टीटीई के पास होती है जिसका सीधा कनेक्शन इंटरनेट से होता है।
ट्रेन में मौजूद टीटीई टीकटों और सीटों की जांच के दौरान जब किसी खाली बर्थ को वैकेंट के तौर पर मार्क करता है तो यह जानकारी एचएचटी के जरिए रेलवे स्टेशनों के पीआरएस और आईआरसीटीसी की वेबसाइट में फीड हो जाती है। इसके बाद रेलवे का आटोमेशन सिस्टम ट्रेन में वेटिंग या आरएसी टिकटों को सीटों की उपलब्धता के साथ क्रमवार कंफर्म करता जाता है। फिर भी यदि सीट खाली रहती है तो रास्ते में पड़ने वाले स्टेशनों से या आनलाइन कंफर्म बर्थ के टिकट बुक किए जा सकते हैं।
अभी तक देखा जाता था कि ऐसी सीटें खाली रहती थीं। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक यह परियोजना लगभग चार महीने पहले शुरू की गई थी। इस परियोजना के तहत लगभग 1,390 ट्रेनों के टीटीई हर रोज लगभग 10,745 एचएचटी का इस्तेमाल कर रहे हैं। बीते चार महीनों के आंकड़ों पर गौर करें तो पाते हैं कि पिछले चार महीनों के दौरान हर रोज एचएचटी के जरिए औसतन 5,448 आरएसी और 2,759 वेटिंग टिकट वाले यात्रियों को कंफर्म सीटें आवंटित की गईं।