उनकी गिरफ़्तारी पर एसआईटी के डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल ने कहा, “आशीष मिश्र विवेचना में सहयोग नहीं कर रहे हैं और सवालों के जवाब देने से बच रहे हैं, इस आधार पर पुलिस उन्हें गिरफ़्तार कर रही है.”
हालांकि आशीष मिश्र के वकील अवधेश कुमार सिंह का दावा है कि उनके मुवक्किल ने पुलिस जांच में पूरी तरह सहयोग दिया है. उन्होंने बीबीसी को बताया, “सारी जांच हुई है, 150 सवाल पूछे गए थे. हर सवाल के उत्तर लिखित में दिए हैं.”
शनिवार की देर रात उनका मेडिकल चेक अप पुलिस लाइंस में ही हुआ और उसके बाद उन्हें स्थानीय मजिस्ट्रेट दीक्षा भारती के सामने पेश किया गया, जहां पुलिस ने उन्हें तीन दिन तक रिमांड पर लेने की मांग की थी, लेकिन मजिस्ट्रेट ने अगली सुनवाई सोमवार 11 बजे तक स्थगित करते हुए उन्हें लखीमपुर खीरी जेल भेजने का निर्देश दिया.
पुलिस के तीन दिन के रिमांड मांगे जाने से तय है कि पुलिस अभी कई पहलूओं पर आशीष मिश्र से पूछताछ जारी रखना चाहती है. अब सोमवार को एसआईटी की टीम एक बार फिर से आशीष मिश्र को रिमांड पर लेने की कोशिश करेगी. आशीष मिश्र के मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल और हादसे के दिन ढाई बजे से चार बजे तक उनकी मौजूदगी के बारे में पुलिस और पूछताछ करना चाहती है.
अब तक हुई पुलिस पूछताछ के बारे में आशीष मिश्रा के वकील अवधेश कुमार ने बताया, “पुलिस ने पूछा कि दो तारीख की जगह कुश्ती दंगल का आयोजन तीन तारीख को क्यों किया गया, इसका जवाब आशीष मिश्रा ने दिया कि मुख्य अतिथि का समय तीन तारीख का मिला था. इसके अलावा यह भी पूछा गया कि इस आयोजन की अनुमति ली गई थी या नहीं, तब आशीष मिश्र ने बताया कि 40 साल से दंगल हो रहा है, अब तक अनुमति की ज़रूरत नहीं पड़ी थी लिहाजा इस बार भी नहीं ली गई.”
बहरहाल, एसआईटी की टीम आशीष मिश्र को तीन दिन के रिमांड पर नहीं ले सकी क्योंकि आशीष मिश्र के वकीलों ने रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने आरोपी का पक्ष रखने का मौक़ा माँगा और उन्हें वह मौका दिया गया है.