- बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी और राज्य की सत्ता पर 15 वर्षों तक काबिज रहने वाली पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में सियासी संग्राम मचा हुआ है। ऐसे देखा जाए तो राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और राजद के प्रमुख लालू प्रसाद के बडे पुत्र तेजप्रताप के बीच मुख्य संग्राम छिड़ा है, लेकिन निशाने पर एक-दूसरे के समर्थक भी आ रहे हैं।
तेजप्रताप अपने बयानों से जगदानंद सिंह पर तो निशाना साध ही रहे हैं, तेजस्वी के रणनीतिकार माने जाने वाले संजय यादव और राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी को भी तेजप्रताप ने अपने बयानों से निशाने पर लिया है। इधर, जगदानंद सिंह ने भी छात्र राजद अध्यक्ष के पद पर गगन कुमार को बैठाकर तेजप्रताप के करीबी माने जाने वाले आकाश यादव की छुट्टी कर दी। देखा जाए तो तेजप्रताप जहां जगदानंद सिंह पर पूरी तरह आक्रामक हैं, वहीं उनके छोटे भाई और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सिंह के साथ नजर आ रहे हैं।
ऐसे में माना जा रहा है कि राजद में छात्र इकाई के अध्यक्ष के बहाने लालू की सियासी विरासत को लेकर ‘सियासी संग्राम’ छिड गया है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक मणिकांत ठाकुर भी कहते है, “यह सियासी संग्राम तो है, लेकिन यह पूरी तरह वर्चस्व को लेकर नहीं है।” वे कहते हैं कि लालू प्रसाद या पार्टी के वरिष्ठ नेता भी तेजस्वी यादव को लालू प्रसाद का उतराधिकारी करीब-करीब मान चुके हैं। ऐसे में तेजप्रताप भी खुद को ‘कृष्ण’ बताते हुए तेजस्वी को ‘अर्जुन’ बताकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की बात करते हैं, लेकिन तेजप्रताप पार्टी में खुद को सम्मानजनक स्थिति में जरूर रखना चाहते हैं।
तेजस्वी पत्रकारों से कहते हैं, “जगदा बाबू स्वतंत्र हैं, प्रदेश संगठन के फेरबदल में। वे प्रदेश अध्यक्ष हैं। इसमें मेरा कोई हस्तक्षेप नहीं है, और जगदा बाबू से अनुभवी कौन सा नेता है।” मणिकांत ठाकुर भी कहते हैं कि तेजप्रताप का यह कोई पहला मामला नहीं हैं जब वे सतही तौर पर बयान दे रहे हैं। इससे पहले भी वे कई वरिष्ठ नेताओं पर अपनी भड़ास निकाल चुके हैं।