एंटीलिया केस में सचिन वाझे की गिरफ्तारी और अनिल देशमुख पर लगे आरोपों को लेकर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने रविवार को महाराष्ट्र सरकार को घेरा। केंद्रीय मंत्री ने पूछा कि आखिर सचिन वाझे की नियुक्ति किसके दबाव में की गई? ये शिवसेना का दबाव था, मुख्यमंत्री या मंत्री का दबाव था या फिर शरद पवार का भी दबाव था?
अनिल देशमुख पर लगे आरोपों पर रविशंकर प्रसाद ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सचिन वाझे की नियुक्ति किसके दबाव में की गई? ये शिवसेना का दबाव था, मुख्यमंत्री मंत्री का दबाव था या शरद पवार का भी दबाव था? सचिन वाझे को बचाने की क्या मजबूरी थी, सचिन वाझे के पेट में और क्या-क्या सीक्रेट हैं?
उन्होंने कहा कि सचिन वाझे वर्षों तक सस्पेंड था, वर्षों के बाद उसको कोरोना काल में अप्वाइंट कराया गया और कहा गया कि कोरोना में पुलिस वाले बीमार पड़ रहे हैं इसलिए इनको लिया जा रहा है। बीजेपी की तरफ से पहला सवाल ये है कि सचिन वाझे की नियुक्ति किसके दबाव में की गई?
मामला भ्रष्टाचार का मामला नहीं , ऑपरेशन लूट का
रविशंकर प्रसाद ने कहा, एक और बहुत बड़ा गंभीर सवाल है कि 100 करोड़ रुपये का टार्गेट था मुंबई से तो कृपया करके उद्धव ठाकरे और शरद पवार जी बताएं कि पूरे महाराष्ट्र का टार्गेट क्या था? अगर एक मंत्री का टार्गेट 100 करोड़ था तो बाकी मंत्रियों का टार्गेट क्या था? रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह भ्रष्टाचार का मामला नहीं है। यह ऑपरेशन लूट का है।
उन्होंने कहा कि रंगदारी एक अपराध है और अगर इस मामले में शरद पवार को ब्रीफ किया जा रहा है तो सवाल उठता है कि शरद पावर जब सरकार में नहीं है तो उन्हें किस बिनाह पर ब्रीफ किया जा रहा है और एक सवाल यह भी उठता है कि शरद पवार ने अपने स्तर पर क्या कार्रवाई की? इस अपराध को रोकने के लिए और इस अपराध की छानबीन की।
उन्होंने कहा कि शरद पवार की खामोशी सवाल उठाती है। साथ ही उद्धव ठाकरे की शांति और सदन के अंदर और बाहर सचिन वाझे को डिफेंड करना। सचिन की हैसियत एक एएसआई है, जिसे क्राइम सीआईडी का चार्ज दिया गया है। यह अपने आप में आश्चर्य की बात है।