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लॉकडाउन में नौकरी जाने से मन में आया ख्याल, भाई के साथ मिल कर करने लगा काला धंधा


चंदौली। नकली नोटों का कारोबार करने का एक आरोपी गुरुवार को धानापुर चोचकपुर पीपा पुल के समीप से पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस को आरोपी की लंबे समय से तलाश थी। पकड़ा गया आरोपी गोपाल पांडेय बिहार के रोहतास जिले का रहने वाला है।

 

अपर पुलिस अधीक्षक विनय सिंह ने गुरुवार को मीडिया को जानकारी दी। आरोपी के पास से पुलिस ने 375000 रुपये के जाली करेंसी बरामद किया है। गिरफ्तारी व बरामदगी करने वाली टीम को पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार ने 25 हजार रुपये का इनाम दिया है।

यह है पूरा मामला

थाना प्रभारी धानापुर प्रशांत सिंह को सूचना मिली कि जाली नोट छापने व उसे बाजार में चलाने के मुकदमे का एक वांछित आरोपी नगवां पुलिस चौकी चोचकपुर पीपा पुल के पास जाली नोट व जाली नोट छापने वाली मशीन के साथ मौजूद है और किसी का इंतजार कर रहा है।

पुलिस ने चोचकपुर पुल के पास पहुंची तो यहां हाथ में झोला लिए एक व्यक्ति गत्ते के डिब्बे पर बैठा मिला। व्यक्ति की तलाशी में एक प्रिंटर का डिब्बा मिला। खोलकर देखा गया तो उसमें एक अदद प्रिंटर व अलग-अलग रंग के इंक के अलावा केबल मिले।

इसके अलावा नोट छापने वाला पेपर व विभिन्न सीरियल नंबर के तीन लाख 75 हजार जाली भारतीय मुद्रा (100 रुपये के 1700 जाली नोट तथा 500 रुपये का 410 जाली नोट) मिला। पुलिस टीम में प्रभारी निरीक्षक हरिनारायन पटेल, उप निरीक्षक रमेश यादव, दीपक त्रिपाठी आदि शामिल थे।

मामले में पूर्व की घटना

धानापुर में तीन फरवरी 24 को पुलिस टीम ने रुपये 118100 रुपये के जाली करेंसी नोट मय एक बाइक, तीन मोबाइल व एक वाईफाई राउटर के साथ दो शातिर आरोपी अमरेश पाठक निवासी ग्राम बथावर थाना सकलडीहा जनपद चंदौली व अरविंद यादव निवासी ग्राम कैलावर थाना बलुआ चंदौली को गिरफ्तार किया गया था।

इसके विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कर आरोपियों को जिला कारागार में निरुद्ध कराया गया था। इसमें दो आरोपी जिनके द्वारा नोटों की छपाई की जाती थी, मुकदमे में वांछित चल रहे थे।

लॉकडाउन में सीखा नोट छापना

आरोपी गोपाल पांडेय ने बताया कि वह और उसका भाई गोकुल पांडेय पहले अहमदाबाद में कंप्यूटर प्रिंटिंग के माध्यम से साड़ी व कपड़े प्रिंट व डिजाइन का कार्य करते थे। कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री बंद हो गई तो घर आ गए।

परिवार के भरण-पोषण में समस्या होने लगी। आर्थिक तंगी के कारण मन में ख्याल आया कि क्यों न भारतीय जाली मुद्रा प्रिंटिंग मशीन से छापने का काम करें। इसके बाद यूट्यूब आदि साधनों से जानकारी लेकर भारतीय जाली मुद्रा की छपाई का काम शुरू कर दिया।

जाली मुद्रा के छपाई के काम में उच्च कोटि का पेपर इस्तेमाल किया जाता है, जो ए फोर साइज का होता है। एक बार में चार नोटों को एक साथ पेपर पर स्कैन कर प्रिंट किया जाता है। उसके बाद कटर व कैंची आदि उपकरणों के माध्यम से एक पेपर में चार नोट काटकर तैयार कर लिया जाता है।

आरोपी ने बताया कि 2022 में वह और उसका भाई गोकुल थाना बलुआ से जेल जा चुके हैं। वे अपने ग्राहकों से केवल व्हाट्सएप के माध्यम से बात करते थे और उनको जाली नोट सप्लाई करते थे।