द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई के 30 लाख प्रवासी कामगारों के बीच लॉकडाउन को लेकर चिंता इसलिए बढ़ गई है क्योंकि शहर में रविवार रात से नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है. बता दें कि महाराष्ट्र में नाइट कर्फ्यू इसलिए लगाया गया है क्योंकि फरवरी से अब तक कोरोना के नए मरीजों की संख्या में 400 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किय गया है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले शुक्रवार तक महाराष्ट्र में और सख्ती बरती जा सकती है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के 10 करोड़ से ज्यादा प्रवासी अलग अलग शहरों में रहते हैं और वह दैनिक मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. ये मजदूर अगर बीमार पड़ जाएं या फिर किसी कारण से काम पर न जा पाएं तो इन लोगों किसी भी तरह का मुआवजा नहीं दिया जाता. यहां तक कि दुनिया में आई इस खतरनाक महामारी के दौरान भी इन प्रवासी मजदूरों को किसी भी तरह का मुआवजा नहीं दिया गया.
पिछले साल भारत में लगे दो महीने के लॉकडाउन ने लगभग 40 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से पीछे धकेल दिया है. लॉकडाउन के दौरान सड़क पर लगने वाले स्टॉल पूरी तरह से बंद कर दिए गए थे, कारखाने पूरी तरह से बंद हो गए और निर्माण स्थलों पर काम रोक दिया गया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रवासी मजदूरों में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग सबसे ज्यादा हैं. मुंबई में रहने वाले ये सभी प्रवासी रविवार की रात से लगे कर्फ्यू के बाद अब अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं. रिपोर्टों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में ट्रेनों की बुकिंग 8 अप्रैल तक पूरी हो चुकी है. बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए रेलवे स्टेशनों पर लोगों की काफी भीड़ देखी जा रही है.