वाराणसी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डा. सोमनाथ एस ने बताया कि इसरो तीन माह बाद देश का पहला सेमी क्रायोजेनिक इंजन लांच करने जा रहा है। राकेट एबार्ट सिस्टम पर इस साल के अंत तक सफलता मिल जाएगी। इसके बाद गगनयान की लांचिंग के विषय में कुछ स्पष्ट हो सकेगा। क्योंकि हमारी प्राथमिकता है कि जो भी अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाए, उसे सकुशल वापस धरती पर ला सकें। इसके लिए इस्केप सिस्टम पर तेजी से काम चल रहा है। वह यहां आइआइटी बीएचयू के दीक्षा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने आए थे। पदक वितरण समारोह के बाद आइआइटी के अतिथि गृह में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य अंतरिक्ष क्षेत्र में भी भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाना है और आने वाले वर्षों में हम इसे स्वदेशी तकनीक के बल पर हासिल करेंगे।
डा. सोमनाथ एस ने इसरो के भावी लक्ष्यों और अंतरिक्ष क्षेत्र में चल रही योजनाओं के बारे में बताया कि गगनयान-2 उपग्रह के प्रक्षेपण की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। स्पेस में भेजने के लिए भारतीय वायुसेना के चार जवानों का प्रशिक्षण रूस में चल रहा है। इस वर्ष के अंत तक उनका प्रशिक्षण पूरा हो जाएगा, इसके बाद उन्हें अंतरिक्ष में भेजा जाएगा लेकिन इसके पूर्व इस्केप सिस्टम को तैयार कर लेना है ताकि जो यात्री अंतरिक्ष में भेजा जाय, उसे सकुशल धरती पर वापस भी लाया जा सके। इसरो स्पेस इस्केप सिस्टम की तकनीक पर तेजी से काम कर रहा है। इसी तरह पूरा विश्ववास है कि राकेट के एबार्ट सिस्टम पर इस वर्ष के अंत तक हमें सफलता मिल सकती है। इनके परिणाम आते ही गगनयान और मिशन मंगल के लांचिंग की तस्वीर स्पष्ट हो सकेगी। उन्होंने बताया कि इन परियाेजनाओं के साथ ही चंद्रयान-3 पर भी काम चल रहा है।