सांसद रूड़ी के प्रस्ताव पर केन्द्र की सहमति
(आज समाचार सेवा)
पटना। केन्द्र सरकार ने बिहार को एक और एक्सप्रेसवे देने की मंजूरी दी है। यह एक्सप्रेसवे पश्चिमी चंपारण के वाल्मीकिनगर में भारत-नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा से बंगाल की खाड़ी के हल्दिया और भद्रक बंदरगाहों तक जायेगा। यह राजमाग्र न केवल व्यापारिक लाभ प्रदान करेगा बल्कि सामरिक महत्व का भी होगा। इसका प्रस्ताव सारण सांसद रूड़ी ने केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी को दिया था और इस संबंध में केन्द्र सरकार को भी पत्र लिखा था। सांसद के प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार ने गंभीरता से विचार करना शुरू किया। अब केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसके महत्व को देखते हुए सैद्धांतिक सहमती प्रदान कर दी है और विभाग अगस्त तक इसका डीपीआर तैयार कर लेगा।
इस संदर्भ में रूड़ी ने कहा कि नीति आयोग के नवीनतम रिपोर्ट में बिहार तो पिछड़ा है लेकिन उसे अग्रिम सूची में लाने के लिए केन्द्र सरकार निरंतर प्रयासरत है। इसी का यह नमूना है कि आठ सौ किलोमीटर की लंबी एक्सप्रेसवे का उपहार बिहार की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। रूड़ी ने कहा कि निवेश तभी होगा जब नीति और योजना होगी। हमें यदि पिछड़े राज्य से बिहार को अग्रणी राज्य की श्रेणी में लाना है तो नीति और निवेश को साथ जोडऩा होगा। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सोच बनानी होगी जो इस कॉरिडोर से दिख रहा है।
केन्द्र सरकार राज्य की प्रगति के लिए लगातार योजनागत लाभ दे रही है और विभिन्न योजनाओं में अपनी हिस्सेदारी भी निभा रही है। इस एक्सप्रेसवे के बनने से बंगाल की खाड़ी के बंदरगाहों से सीधी कनेक्टिविटी हो सकेगी। इससे व्यापार और रोजगार में बढ़ोतरी तो होगी ही, नेपाल की बिहार और झारखंड से होकर बंगाल तक सीधी कनेक्टिविटी भी हो जायेगी।
इस संदर्भ में सांसद रूड़ी ने बताया कि यह ग्रीनफील्ड परियोजना बिहार की पहली ऐसी परियोजना होगी जो बिहार को पोर्ट कनेक्टिविटी प्रदान करेगी जिससे सारण भी लाभान्वित होगा। उन्होंने कहा कि बिहार में नदी पर बने जलमार्ग केन्द्रों को यह सडक़ कनेक्टिविटी देगी, जिससे माल ढुलाई में लगनेवाले समय के साथ-साथ खर्च में भी कमी आयेगी। लगभग ८०० किलोमीटर का यह ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होगा जो वाल्मीकिनगर में भारत-नेपाल सीमा को बंगाल की खाड़ी के बंदरगाहों से जोड़ेगा। इस परियोजना का डीपीआर बनाने का काम राइट्स कंपनी द्वारा किया जा रहा है जो केन्द्र सरकार का ही एक उपक्रम है।
रूड़ी ने आगे कहा कि बंगाल की खाड़ी के बंदरगाहों से नेपाल तक माल पहुंचाया जाता है। इसमें समय के साथ-साथ खर्च भी जयादा लगता है। इसलिए यह एक्सप्रेस वे सीधे नेपाल की सीमा को छूएगा तो नेपाल को तो व्यापारिक लाभ होगा ही साथ ही भारत के व्यापारियों, आयातकों, निर्यातकों को भी लाभ होगा।