पटना

पटना: सीएजी की रिपोर्ट में मनरेगा में अधिकारियों की मनमर्जी उजागर


बगैर ग्रामसभा की अनुशंसा के ही कराये गये काम

(आज समाचार सेवा)

पटना। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार मनरेगा में बगैर ग्राम सभा की अनुशंसा के ही कार्य कराये जाने का जिक्र है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना के गाइड लाइन में प्रावधान था कि ग्राम सभा से पारित कार्यों को वार्षिक योजना में शामिल करें। हालांकि ऑडिट रिपोर्ट में ज्ञात हुआ कि नमूना जांचित १२ पंचायत में एक करोड़ ४९ लाख वाले १११ कार्यों को अनुमादित वार्षिक योजना में शामिल किये बिना ही उसे कार्यान्वित कराया गया।

नमूना जांचित पंचायतों के पंचायत रोजगार सेवक द्वारा बताया गया कि विभाग एवं जिला स्तरीय पदाधिकारियों के निर्देश के आलोक में कुछ नये प्रकार के कार्यों को लिया गया था। यह पूरी तरह से अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन था क्योंकि इसमें भागीदारीपूर्ण योजना के सिद्घांत का उल्लंधन किया गया। अधिनियम में प्रावधान था कि कार्यों की पर्याप्त सूची को अनुमोदित किया जायेगा और प्रत्येक ग्राम पंचायत में हर समय उपलब्ध कराया जायेगा ताकि कार्य मांगने वालों की मांग को पूरा किया जा सके तथा कार्य निरंतर उपलब्ध रहे। हालांकि राज्य स्तर पर पाया गया कि २०१४-१८ की अवधि में चार पंचायत, २०१७-१८ में १०३० पंचायत और २०१५-१६ में कार्यों का निष्पादन नहीं कराया गया।

मनरेगा में श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर पर्याव्प्त सुविधाओं का कोई प्रावधान ही नहीं था। मजदूरी एवं सामग्री अनुपात कायम नहीं रखा गया। कार्यों में ट्रैक्टर का उपयोग किया जो कि प्रावधान के विपरित था। सडक़ों और घरों में मिट्ïटी भराई के ८४ कार्यों में ट्रैक्टर के उपयोग पर एक करोड़ चार लाख की राशि का भुगतान किया गया था। जिसमें कार्यक्रम पदाधिकारी पदाधिकारी द्वारा कार्य की प्रशासनिक अनुमोदन दी गयी थी।

इतना ही नहीं मनरेगा में मस्टर रोल में भारी अनियमितता का जिक्र रिपोर्ट में की गयी है। मस्टर रोल कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा निर्गत और प्राधिकृत किया जाना था एवं एक आर का एक रिकार्ड पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत स्तर पर  संधारित किया जाना था। नमूना जांचित इकाईयों के ऑडिट रिपोर्ट में निर्गत एमआर को कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा प्राधिकृत नहीं किये जाने से २४.४७ लाख, कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा भरे हुए एमआर को  अस्वीकृति किये जाने से भी राजस्व की क्षति हुई है।

आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण के लिए प्राप्त निधियों का गैर उपयोग किया गया। इतना ही मजदूरी भी कम दर पर भु गतान किया गया। कुल मिलाकर २०१४-१९ के दौरान शुरू किये गये १४ प्रतिशत मार्च २०२० तक अपूर्ण था।

सीएजी रिपोर्ट के आधार अनुशंसा की गयी है कि योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सभी स्तरों पर पर्याप्त और समर्पित मानवबल प्रदान कर सकती है और योजना पदाधिकारियों को उन्हें नियत कार्य कुशलतापूर्वक करन के लिए विशेष रुप से ग्राम स्तर पर आवश्यक आधारभूत संरचनायें जैसे इंटरनेट सुविधा प्रदान किया जाना चाहिए। सीएजी अपनी अनुशंसा में कहा है कि प्रभावी आइइसी गतिविधियों और नागरिक समाज संस्था इत्यादि को शामिल कर कार्य करने के लिए श्रमिकों को प्रेरित करने एवं गृह स्वामियों को न्यूनतम १०० दिन का गारंटीयुक्त मजदूरी रोजगार प्रदान करने के लिए अपेक्षित प्रयास किया जा सकता है।

प्रभावी रुप से आधार समर्थित भुगतान प्रणाली को सरल बनाने एवं समय पर एफटीओ के सृजन के द्वारा सही लाभार्थियों के खातों में मजदूरी एवं सामग्री अव्यवों में समायोजित भुगतान सुनिश्चित की जा सकती है।