विष्णुगुप्त
आतंकवादकी आउटसोर्सिंग और जिहादी मानसिकतामें पाकिस्तान आज ऐसा फंसा है, जिससे बाहर निकलनेका कोई रास्तातक नहीं है। आतंकवादकी खेतीके कारण आज पाकिस्तान लगभग दिवालिया हो चुका है। उसकी अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी है, प्रधान मंत्री इमरान खान कटोरे लेकर भीख मांगनेके लिए पूरी दुनियामें घूमें। परन्तु कोई देश भीख देनेको तैयार नहीं हुआ। पाकिस्तानके कश्मीर रागको भी कोई देश सुननेको तैयार नहीं हैं। यूरोप और अमेरिका ही नहीं, बल्कि दुनियाके बड़े मुस्लिम देश जैसे सऊदी अरब, बहरीन, कतर ईरान भी पाकिस्तानसे मुंह मोड़ लिये हैं। पाकिस्तानके साथ दोस्तीको खतरनाक और शांतिके लिए गैर-जरूरी मान चुके है। पाकिस्तानके आतंकवादका सबसे बड़ा शिकार पाकिस्तानके वैसे नागरिक हो रहे हैं जो विदेशोंमें बसे हैं। पाकिस्तान फेडरल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसीकी एक खबरके अनुसार पाकिस्तानके नागरिकोंको विदेशोंमें मिलनेवाले अपमान, तिरस्कार, घृणा आदिकी भयावह कहानी है। रिपोर्ट है कि पिछले छह सालमें दस लाखसे अधिक पाकिस्तानी मुसलमानों विदेशोंसे खदेड़ दिया गया। प्रतिदिन औसतन तीन सौ पाकिस्तानी मुसलमानोंको विदेशोंसे खदेड़ा जा रहा है।
अमेरिका एवं यूरोपमें पाकिस्तानी मुसलमानोंको घृणाका शिकार होना पड़ रहा है। पाकिस्तानी मुसलमानोंको जेलमें डालने और उन्हें पुलिस निगरानीमें रखनेकी घटना भी बढ़ी है, अमेरिकाने पिछले सालमें छह सालमें १७ सौसे अधिक पाकिस्तानी मुसलमानोंको अपने यहांसे खदेड़ा है। वहीं दूसरा पहलू यह है कि सिर्फ अमेरिका यूरोपसे ही नहीं, बल्कि मुस्लिम देशोंसे भी पाकिस्तानी मुसलमान बलपूर्वक खदेड़ा जा रहे हैं। आंकड़ोंके अनुसार ईरानने पिछले छह सालमें एक लाख ३६ हजार ९५० पाकिस्तानी मुसलमानोंको खदेड़ा है। सऊदी अरबने तीन लाख २१ हजार ५९० पाकिस्तानी मुसलमानोंको खदेड़ा। इसी तरह तुर्कीने ३२ हजार ३००, संयुक्त अरब अमीरातने ५३ हजार ६४९ पाकिस्तानी मुसलमानोंको खदेड़ा है और रूसने ५६४, अफगानिस्तानने १५ और भारतने २४३ पाकिस्तानी मुसलमानोंको खदेड़ा है। इसके अलावा भी कई मुस्लिम देशोंसे भी पाकिस्तानी मुसलमानोंको खदेड़े जानेके आंकड़े हंै। तुर्की पाकिस्तानका मित्र देश है। पाकिस्तान जिस प्रकारसे दुनियाके मुसलमानोंका खलीफा बनना चाहता है उसी प्रकारसे तुर्की भी मुस्लिम देशों और दुनियाकी मुस्लिम आबादीका खलीफा बनना चाहता है। भारतके खिलाफ कश्मीरके प्रश्नपर तुर्कीने पाकिस्तानके पक्षमें किस प्रकारसे पैंतरेबाजी दिखाई थी, सभी जानते हैं। मुस्लिम संघटन और मुस्लिम नेता यह कहते हुए नहीं थकते हैं कि दुनियाके मुसलमान एक हैं। एक मुसलमान दूसरे मुसलमानकी मदद करने, शरण देनेके लिए मजहबी सिद्धांतसे बंधे हुए हैं। यानी कुरानके अनुसार एक मुसलमान दूसरे मुसलमानको शरण देने और मदद करनेके लिए बाध्य है। परन्तु पाकिस्तानी मुसलमानोंको खदेडऩेको लेकर कुरानके इस सिद्धांतका मुस्लिम देश क्यों नहीं पालन करते।
एक समय ऐसा भी था जब ईरान सऊदी अरब, बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, तुर्कीमें पाकिस्तानी मुसलमानोंकी बड़ी मांग होती थी। ढांचागत कार्योंमें पाकिस्तानी मुसलमानोंकी बड़ी पूछ होती थी। उन्हें प्रोत्साहित कर बुलाया जाता था। यही कारण है कि खाड़ी देशोंमें पाकिस्तानी मुसलमानोंकी भरमार थी। सिर्फ मजदूरी ही नहीं, बल्कि स्कूल कालेजके शिक्षा एवं मजहबी शिक्षाकी जरूरतोंके लिए पाकिस्तानसे मौलवी बुलाये जाते थे। तेल उत्खननके कार्यों एवं स्वास्थ्य जरूरतोंको भी पूरा करनेके लिए पाकिस्तानी विशेषज्ञोंकी ओर ही निर्भरता थी। इसका फायदा पाकिस्तानको खूब मिलता था। खाड़ी देशोंसे आनेवाले धनसे पाकिस्तानको विदेशी मुद्रा संकटसे निजात मिलता था। पाकिस्तानकी अर्थव्यवस्था भी मजबूत रहती थी। पाकिस्तानको विदेशी कर्जकी अदायगीमें भी मदद मिलती थी। दरअसल मुस्लिम देशोंमें भी आतंकवाद, हिंसा और अर्थव्यवस्थाके विध्वंससे उत्पन्न नयी चेतना और खतरेके प्रति जागरूकता बढ़ी है। खासकर सऊदी अरब, कतर संयुक्त अरब अमीरात और ईरान जैसे देशके बीच भी आतंकवाद और जिहादी मानसिकतासे डर कायम हुआ हैं। उन्हें यह डर है कि कहीं उनका भी हाल पाकिस्तान, लेबनान, सीरिया और अफगानिस्तान जैसा न हो। जिहादी सोच उन्हें भी अपना शिकार न बना दे।
दुनियामें कोई भी ऐसा मुस्लिम देश नहीं है जहां इस्लामके विभिन्न फिरको और समूहोंमें घृणा और हिंसा नहीं है। पाकिस्तानी मुसलमान जिस भी देशमें जाते हैं अपने साथ जिहादी मानसिकता लेकर जाते हैं। मुस्लिम आतंकी संघटन भी पाकिस्तानी मुसलमानोंका इस्तेमाल एक मोहराके तौरपर करते हैं। सऊदी अरब सुन्नीबहुल देश है। वहां पाकिस्तानसे जानेवाले शिया घृणा पैदा करते हैं। सऊदी अरबमें शिया-सुन्नी मुस्लिम संघर्ष चलता ही रहता है। इसी प्रकार ईरान शियाबहुल देश है जहां पाकिस्तानके सुन्नी मुसलमान घृणा पैदा करते हैं। साथ ही सत्ता संस्थानके खिलाफ भी घृणा फैलाकर समस्या भी खड़ी करते हैं। खाड़ी देशोंमें सिर्फ पाकिस्तानी मुसलमान ही नहीं, बल्कि भारतके मुसलमानोंपर भी कार्रवाई उसी प्रकार जारी है। भारतीय मुसलमान भी मजहबी मानसिकतासे ग्रसित होकर खाड़ी देशोंकी राजनीतिमें हस्तक्षेपके गुनाहगार है। खाड़ी देशोंने दर्जनों ऐसे मुस्लिम आतंकियोंको पकड़कर भारतको सौंपा है जिनका आतंकवादसे संबंध है। पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादी भी खाड़ी देशोंमें बैठकर भारतमें मुस्लिम आतंकवादकी घटनाओंको अंजाम देने हैं। खाड़ी देशोंने अब पाकिस्तानी आतंकी संघटनों और दहशतगर्दीपर भी नकेल डाली है। पाकिस्तानी मुसलमानोंके लिए एक चेतावनी है कि पाकिस्तानी मुसलमानों अब किसी दूसरे देशमें जाकर आतंकवाद, जिहादी मानसिकताकाके प्रचार-प्रसारसे बाज आना चाहिए। अन्यथा पाकिस्तानी मुसलमानोंके किसी भी देशमें रोजगार या शरण मिलनेकी उम्मीद नहीं बनेगी।