दिल्ली बम हमले के बाद उठाया गया कदम
जम्मू कश्मीर (आससे.)। दिल्ली में हुए कार बम विस्फोट के बाद से ही वैष्णो देवी तीर्थस्थल की सुरक्षा व्यवस्था पुन: चर्चा में है। यह चर्चा में इसलिए है क्योंकि अधिकारी कहते हैं कि इस तीर्थस्थान को भी आतंकी खतरा है और ताजा धमाके के उपरांत सुरक्षा एजेंसियां चेती तो अवश्य हैं लेकिन इसके सुरक्षा प्रबंधों में जो लूप होल हैं उनसे खतरा हमेशा बना रहता है। हालांकि अतिरिक्त जवानों की तैनाती कर फर्ज की इतिश्री कर ली गई है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, फिलहाल कोई आतंकी संगठन धमकी नहीं है। पर अतीत में अक्सर आतंकी गुट इस तीर्थस्थल को क्षति पहुंचाने की धमकियां जारीकरते रहते हैं जिस कारण उन धमकियों को कभी भी कम करके नहीं आंका गया है। अधिकारी इसे मानते हैं कि पंजाब के आतंकी कश्मीर में सक्रिय विदेशी आतंकियों के साथ मिल कर जम्मू क्षेत्र में आतंक फैलाने की योजनाओं को अमली जामा पहनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। जिस कारण सुरक्षाधिकारी तीर्थस्थल की सुरक्षा को हमेशा से गंभीरता से ले रहे हैं। ताजा बम हमले के उपरांत बढ़े खतरे को गंभीरता से लिए जाने का ही परिणाम है कि कटड़ा से लेकर पवित्र गुफा तक के 13 किमी लंबे रास्ते पर सुरक्षा प्रबंधों को मजबूत किया जा रहा है। इन सुरक्षा प्रबंधों में सादा कपड़ों में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के साथ ही कमांडों को भी तैनात किया गया है। यह कमांडों स्थानीय पुलिस के देशी कमांडों हैं।ब जबकि गुप्तचरों ने इन संदेशों को पकड़ा है कि आतंकी वैष्णो देवी के पवित्र तीर्थस्थान को क्षति पहुंचाने की खातिर सैनिकों के वेष और उनकी वर्दियों का इस्तेमाल कर सकते हैं ऐसे में वैष्णो देवी तीर्थ स्थान की देखभाल का जिम्मा लेने वाले संगठन श्री माता वैष्णो देवी स्थापना बोर्ड (स्थापना बोर्ड) के अधिकारी परेशानी में हैं कि वे दर्शनार्थ आने वाले सुरक्षाकर्मियों के प्रति क्या निर्णय ले। वैसे एक बार वह वर्दी पहन कर दर्शनों पर प्रतिबंध लगा चुकी है। डयूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मियों पर यह प्रतिबंध लागू नहीं था।
सनद रहे कि गुफा को क्षति पहुंचाने के आतंकवादियों के प्रयासों के मद्देनजर पहले ही धातु की वस्तुओं, बेल्ट, कैमरा आदि ही नहीं बल्कि प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाने वाला नारियल भी गुफा के भीतर ले जाना प्रतिबंधित है। नारियल को गुफा के भीतर ले जाने पर प्रतिबंध इसलिए लगाया जा चुका है क्योंकि गुुफा को उड़ाने के इरादों से आतंकी नारियल बमों का प्रयोग कर सकते हैं ऐसी सूचनाएं सुरक्षाधिकारियों के पास हैं। जबकि कई नारियल बम कटड़ा तथा गुफा के बाहर भी पकड़े जा चुके हैं।
इस प्रकार की घटनाओं की रोकथाम के लिए 13 किमी लंबे रास्ते में मेटल डिटेक्टर तथा जामा तलाशी केे लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है परंतु वे कई बार खानापूर्ति साबित होते रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जहां कभी कभी मेटल डिटेक्टर काम नहीं करते तो कई बार भीड़ की स्थिति में यात्रियों के गुस्से को देखते हुए स्थापना बोर्ड के अधिकारी सुरक्षाकर्मियों पर जोर देते रहे हैं कि वे बिना जांच के लोगों को दर्शनों के लिए आगे बढ़ने दें। भीड़ के दिनों में हालत यह है कि स्थापना बोर्ड भीड़ बढ़ाने की चिंता करता है न कि गुफा की सुरक्षा की और सुरक्षाधिकारी इस पर अक्सर खफा होते हैं।
इन सुरक्षाधिकारियों ने स्थापना बोर्ड के इस फैसले का विरोध भी किया था कि नारियलों को गुफा के द्वार तक ले जाने की इजाजत दी जाए। इन सुरक्षाधिकारियों के अनुसार, अगर आतंकी गुफा के द्वार तक नारियल बम ले जाने में कामयाब हो सकते हैं तो वे वहां बम फोड़ कर सारे विश्व में यह संदेश दे सकते हैं कि उन्होंने सारी सुरक्षा व्यवस्थाओं की धज्जियां उड़ा दी हैं।
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