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शिक्षा डिग्री नहीं, जीवनमें परिवर्तनका माध्यम-आनंदीबेन


काशी विद्यापीठ के ४७वें दीक्षांत समारोह की राज्यपाल ने की अध्यक्षता, ७१ हजार से अधिक छात्रों को मिली उपाधि
वाराणसी (का.प्र.)। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं काशी विद्यापीठ की चांसलर श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि शिक्षा केवल डिग्री पाने का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन में परिवर्तन लाने का साधन है। शिक्षा में डिग्री के साथ सबसे पहले कर्तव्यबोध एवं राष्ट्रबोध होना चाहिए। वे बुधवार को सिगरा स्थित रूद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित काशी विद्यापीठ के ४७वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि हमें स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा, क्योंकि पर्यावरण को हमने बिगाड़ा है, अब उसे सुधारना भी हमारा कर्तव्य है। उन्होंने छात्रों से सप्ताह में एक घंटा सफाई का संकल्प लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की कक्षाओं में ७५ प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी और समय पर परीक्षा तथा परिणाम सुनिश्चित करना विश्वविद्यालय का लक्ष्य रहेगा। जो विद्यार्थी पढ़ाई के प्रति गंभीर नहीं हैं, वे समय नष्ट न करें, क्योंकि शिक्षा का अर्थ जिम्मेदारी से कार्य करना है। महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए राज्यपाल ने छात्राओं से सावधान रहने और सोच-समझकर निर्णय लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि बेटियां लिव-इन रिलेशनशिप से बचें और आत्मसम्मान को सर्वोच्च रखें। मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर सरोज चूड़ामणि गोपाल ने कहा कि काशी विद्यापीठ का गौरवशाली इतिहास है, यह महापुरुषों की विरासत है। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति दिव्य होती है और अच्छे संस्कारों से ही देश को विकसित बनाया जा सकता है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काशी की सूरत और सीरत बदल दी है। विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देना चाहिए। विशिष्ट अतिथि रजनी तिवारी,(राज्य मंत्री), उच्च शिक्षा ने कहा कि बेटियों का सामर्थ्य घर नहीं बल्कि देश की दिशा और दशा बनाने की है। इस अवसर पर वाइसचांसलर प्रोफेसर आनंद त्यागी ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियाँ प्रस्तुत कीं। समारोह में ७१,२४३ छात्रों को उपाधियाँ और १०३ स्वर्ण पदक प्रदान किये गये। साथ ही पाँच आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को राज्यपाल ने सम्मानित किया तथा भारतरत्न डॉक्टर भगवानदास की प्रतिमा और दीक्षांत स्मारिका का अनावरण किया गया।