बीजिंग। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक (20th National Congress meeting) 16 अक्टूबर से शुरू हो गई है। इस बैठक में पार्टी शीर्ष नेतृत्व में परिवर्तन को लेकर मंथन हुआ। बताया जा रहा है कि इस बैठक के एक दिन बाद टाप लीडरशिप में कई बदलाव होने की संभावना है। इस बैठक में चिनफिंग ने अपना संबोधन भी दिया। उन्होंने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में और सुधार लाएंगे। गरीबी के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि चीन के लिए अच्छी रणनीति बनाते रहेंगे।
इस अधिवेशन की सबसे ख़ास बात यह भी है कि पार्टी महासचिव शी चिनफिंग को तीसरी बार सत्ता सौंपने पर मुहर लग सकती है। शी चिनफिंग साल 2012 से चीन के सर्वोच्च नेता हैं। महासचिव के साथ-साथ शी चिनफिंग चीन के राष्ट्रपति भी हैं और चीनी सेना के प्रमुख भी।
ताइवान और हांगकांग पर हुई चर्चा
शी चिनफिंग ने हांगकांग पर बात की। उन्होंने कहा कि चीन ने हांगकांग पर व्यापक नियंत्रण हासिल कर लिया है और यहां फैली अराजकता को एक अच्छे शासन में बदल दिया है। इसके अलावा उन्होंने ताइवान को लेकर कहा कि चीन ने ताइवान अलगाववाद के खिलाफ एक बड़ा संघर्ष किया है और क्षेत्रीय अखंडता का विरोध करने के लिए दृढ़ और सक्षम है।
बैठक में चलाई गई गलवां घाटी की वीडियो
शी ने जंग और सीमा मुद्दों का जिक्र करते हुए किसी देश का नाम नहीं लिया। हालांकि, सीपीसी की कांग्रेस में चीन के सैन्य कमांडर की फबाओ पीएलए की ओर से शामिल 304 प्रतिनिधियों में शामिल थे। फबाओ जून 2020 में गलवां घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में घायल हो गए थे। शी और अन्य नेताओं के कार्यक्रम स्थल में ‘ग्रेट हाल आफ पीपल’ पहुंचने से पहले वहां बड़ी स्क्रीनों पर पीएलए के गलवां में हुए संघर्ष के वीडियो फुटेज के हिस्से चलाए गए जिसमें की फबाओ शामिल थे।
बदल जाएगी सात सदस्यीय पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के शीर्ष नेताओं की जिम्मेदारी
वर्तमान सात सदस्यीय पोलित ब्यूरो स्थायी समिति जो कि सर्वोच्च निर्णय लेती है उनके सदस्यों की भी जिम्मेदारी बदल सकती है। एक दशक से चीन की अर्थव्यवस्था का प्रबंधन कर रहे चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग को भी हटाया जा सकता है। हालांकि 66 वर्षीय ली ने भी माना कि प्रधानमंत्री के रूप में यह उनका अंतिम वर्ष है। 20वीं पार्टी कांग्रेस की बैठक रविवार 10 बजे बीजिंग में ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में आयोजित हुई। यह 16 अक्तूबर से 22 अक्तूबर तक आयोजित की जाएगी।
जीरो कोविड नीति के खिलाफ लोगों में आक्रोश
चीन में कोविड 19 के खिलाफ सरकार की ओर से जीरो कोविड नीति लागू की गई है। जिसे लेकर वहां के लोगों में भारी आक्रोश है। लोगों ने इस नीति के खिलाफ और चिनफिंग के खिलाफ बैनरों का भी प्रयोग किया। इन बैनरों पर लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया। इन बैनर्स पर लोगों ने लिखा, कोविड टेस्ट नहीं, सांस्कृतिक क्रांति नही, लाकडाउन नहीं, नेता नहीं…। यह पहला मौका है जब चिनफिंग के खिलाफ ऐसे बैनर नजर आए हैं। चीन की राजधानी बीजिंग की सड़कों पर इन बैनरों की कई तस्वीरें व वीडियो ट्विटर पर तेजी से वायरल हुए। हालांकि ट्विटर चीन में ब्लाक है। चिनफिंग के खिलाफ सोशल मीडिया में नाराजगी तब खुलकर सामने आई है, जब चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का 10 साल में दो बार होने वाला सम्मेलन रविवार से शुरू हो गया है।
लोगों ने की चिनफिंग को हटाने की मांग
इन बैनरों द्वारा लोगों ने राष्ट्रपति चिनफिंग को उनके पद से हटाने की मांग की। इसके साथ ही लोगों ने कोरोना को लेकर लगाई गई कठोर पाबंदियां खत्म करने की भी मांग की। सोशल मीडिया में वायरल ये बैनर बीजिंग के उत्तर-पश्चिमी हैदियान जिले में लगे नजर आए थे। कुछ ही समय में स्थानीय प्रशासन ने उन्हें हटवा दिया, लेकिन तब तक इनकी तस्वीरें सोशल मीडिया के जरिए दुनियाभर में वायरल हो चुकी थी।
2018 में इस नियम में किया गया बदलाव
बता दें कि चीन में अब तक कोई भी व्यक्ति पार्टी महासचिव अधिकतम दो बार बन सकता था लेकिन साल 2018 में इसमें संशोधन किया गया था जिसके बाद शी चिनफिंग जब तक चाहें इस पद पर बने रह सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर कुछ लोग शी चिनफिंग चीन को कम्युनिस्ट क्रांति के नेता और चेयरमैन रहे माओ त्से तुंग से भी ज़्यादा शक्तिशाली कहने लगे हैं। अगर शी चिनफिंग तीसरी बार पार्टी महासचिव बनते हैं तो उनकी सत्ता पर पकड़ और मज़बूत हो जाएगी। इस वक्त पूरी दुनिया की नजरें चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन पर हैं।
शी को रोकने के लिए विपक्ष ने किए लेख प्रकाशित
तीसरे राष्ट्रपति कार्यकाल को हासिल करने से शी को रोकने के लिए विपक्ष द्वारा लेख प्रकाशित किए जा रहे हैं। शी चिनफिंग को कार्यकाल सुरक्षित करने के लिए कम से कम 96.7 मिलियन वफादार पार्टी सदस्यों की आवश्यकता है।
जीरो कोविड नीति के कारण आर्थिक पतन
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, जो तीसरा कार्यकाल चाहते हैं, पहले से ही पार्टी के प्रति वफादार रहने के लिए प्रमुख पदों पर कार्यकर्ताओं को बुला रहे हैं। हालांकि, किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि राष्ट्रपति के लिए शी चिनफिंग की बहुत आलोचना की गई क्योंकि उनकी ‘जीरो-कोविड’ नीतियों ने पूरे देश को आर्थिक पतन के कगार पर ला दिया है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की सदस्यता में वृद्धि के बावजूद, राष्ट्रपति शी ने उनके प्रति पार्टी के सदस्यों की वफादारी पर चिंता व्यक्त की है क्योंकि वह तीसरे राष्ट्रपति पद पर फिर से दांव लगा रहे हैं। पार्टी के सदस्यों में अक्सर ‘दोहरी’ वफादारी होती है, जिसमें पहले पार्टी और फिर शी के प्रति वफादारी शामिल होती है।
जियानली यांग ने लिखते हैं कि अगर किसी सरकारी पद के लिए पार्टी की सदस्यता की जरूरत नहीं होती है, तो किसी व्यक्ति के लिए पार्टी में शामिल हुए बिना पदोन्नति प्राप्त करना बेहद मुश्किल होता है। जो लोग पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं उन्हें निजी क्षेत्रों में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
चीन की सरकार के खिलाफ भारत में भी विरोध
चीन की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस की कम्युनिस्ट पार्टी के अवसर पर तिब्बती युवा कांग्रेस (टीवाईसी) ने कल धर्मशाला में चीनी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।