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श्रीलंका के प्रधानमंत्री चुने गए दिनेश गुणवर्धने, नए राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के खिलाफ देश में प्रदर्शन जारी


कोलंबो, श्रीलंका में राजनीतिक हलचलों के बीच दिनेश गुणवर्धने (Dinesh Gunawardena) को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। कोलंबो स्थित फ्लावर रोड के प्रधानमंत्री कार्यालय में उन्होंने शुक्रवार को नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली। इसी सप्ताह  दिग्गज राजनीतिज्ञ रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका के सांसदों ने देश के नए राष्ट्रपति के तौर पर अपनाया था। हालांकि विक्रमसिंघे के खिलाफ देश में प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शन कर रहे लोग रानिल उनके भी इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।

श्रीलंकाई राजनीति की उथल-पुथल पर एक नजर

ऐसे में महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद नौ मई को प्रधानमंत्री बने विक्रमसिंघे (72) को 13 जुलाई को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त करना पड़ा था। छह बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को 134 मत प्राप्त हुए, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी दुल्लास अल्हाप्पेरुमा को 82 वोट मिले। यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता विक्रमसिंघे को सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) के बड़े धड़े का समर्थन प्राप्त है, जबकि अल्हाप्पेरुमा एसएलपीपी से अलग हुए धड़े के नेता हैं। वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को महज तीन वोट से संतोष करना पड़ा। संसद में कुल 225 सदस्य हैं, जिनमें दो सांसदों ने चुनाव से दूरी बनाई, जबकि चार वोट रद कर दिए गए।

स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने चुनाव परिणामों की घोषणा की। विक्रमसिंघे पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया के करीबी माने जाते हैं। वह गोटाबाया के शेष कार्यकाल यानी नवंबर 2024 तक राष्ट्रपति बने रहेंगे। श्रीलंका में 1978 के बाद से पहली बार राष्ट्रपति का चुनाव सांसदों द्वारा गुप्त मतदान के जरिये हुआ।

खत्म नहीं हुईं हैं श्रीलंका की चुनौतियां

राष्ट्रपति चुने जाने के बाद विक्रमसिंघे ने पूर्व राष्ट्रपतियों महिंदा राजपक्षे तथा मैत्रिपाल सिरसेन से सहयोग मांगा और कहा  कि देश इस समय बहुत कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा है और आगे बड़ी चुनौतियां सामने आने वाली हैं। विक्रमसिंघे ने कहा, ‘अब चूंकि चुनाव समाप्त हो गया है, तो हमें मतभेद भी समाप्त करना चाहिए। मैं आपसे बात करने के लिए तैयार हूं।’