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संगठन में फेरबदल को लेकर भाजपा में खदबदाहट, वेस्‍ट में जातीय संतुलन साधने की बड़ी चुनौती


मेरठ, । 2022 लोकसभा चुनाव से पहले भगवा संगठन में बदलाव की लहरें तेज हो गई हैं। नया प्रदेश अध्यक्ष बनने से पहले ही समीकरण बड़ी करवट ले रहे हैं। पश्चिम उप्र के संगठन को नए सिरे से फेंटने की तैयारी है। फेरबदल में चुनावी गणित का पूरा ध्यान रखा जाएगा। ओबीसी, गूर्जर एवं ब्राहृमण कोटे से चौंकाने वाले नाम उभर सकते हैं।

सीएम से करीबी की रेस तेज

प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव के बाद पश्चिम यूपी के कई दिग्गज नए खेमों में पांव जमाने के लिए निकल पड़े हैं। कई दिग्गज सीएम से नजदीकी बढ़ाने की रेस लगा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष के बाद क्षेत्रीय अध्यक्ष को लेकर समीकरणों में हलचल है। संघ के करीबी व युवा चेहरा मोहित बेनीवाल को दोबारा कमान देने के साथ ही उन्हें प्रदेश संगठन में बड़ा पद देने के विकल्पों की चर्चा है। पश्चिम उप्र में क्षेत्रीय अध्यक्ष पद पर जाट चेहरा भूपेंद्र सिंह चौधरी ने तीन कार्यकाल पूरा किया, जबकि बीच में अश्विनी त्यागी बनाए गए। बाद में फिर से जाट समीकरण साधते हुए बेनीवाल को पद मिला। ऐसे में अब पार्टी गैर-जाट कार्ड खेल सकती है। ओबीसी वर्ग में मुरादाबाद से एमएलसी सत्यपाल सैनी पर दांव लगाया जा सकता है। ब्राहृमणों में हरिओम शर्मा, डीके शर्मा, कमलदत्त शर्मा व गूजरों में पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर दावेदार बताए जा रहे हैं। ठाकुर चेहरों में पूर्व कैबनेट मंत्री सुरेश राणा, सत्येंद्र सिसौदिया एवं हरीश ठाकुर का नाम चर्चा में है। वहीं, जाट चेहरों में बेनीवाल के अलावा प्रदेश उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह चौधरी एवं गाजियाबाद के पूर्व मेयर आशू वर्मा भी दावेदरों में हैं। महामंत्री, उपाध्यक्ष एवं मोर्चों के चयन में पूरी टीम फेंटी जाएगी।

चुनौती की बढ़ती भंवर धाराएं

पश्चिम उप्र में भाजपा के सामने चुनौतियों की नई भंवर धाराएं उठती रहती हैं। 2014 से लेकर 2022 तक संपन्न दो-दो लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में भगवा रथ सरपट दौड़ा, लेकिन यहां किसान आंदोलन एवं ध्रुवीकरण का पारा ज्यादा रहने से नुकसान भी हुआ। पार्टी ने संगठन को धार दी, जिससे कई जनप्रतिनिधियों के विरोध के बावजूद भाजपा जीती। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पश्चिम यूपी को खूब मथा। क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल ने भी संगठन और जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय साधते हुए बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से कनेक्ट रखा। वहीं, प्रदेश सह संगठन महामंत्री पद पर रहते कर्मवीर ने पश्चिम और ब्रज में पार्टी के लिए जमीन तैयार की। बड़ी रैलियों एवं कार्यक्रमों में क्षेत्रीय प्रभारी जेपीएस राठौर ने जिम्मा लिया। लेकिन इस बीच डेढ़ साल पहले हुए पंचायत चुनावों में भाजपा को नीम भी चबाना पड़ा। बसपा और रालोद के समर्थित प्रत्याशियों की बड़ी जीत हुई, लेकिन भाजपा पिछड़ गई। पिछले विस चुनावों में भाजपा ने मेरठ, मुजफ्फरनगर व शामली में नुकसान उठाया। इधर, प्रभारी मंत्रियों के सामने कार्यकर्ता कई बार अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं। प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने विभागीय अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकार कार्यकर्ताओं की शिकायत को नई आवाज दे दी। सरकार एवं संगठन के बीच समन्वय कई बार डांवाडोल हुआ, जिसके नट बोल्ट कसने के लिए प्रदेश के नवनियुक्त प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल नए सिरे से जुटेंगे।