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संगरूर लोकसभा उपचुनाव का परिणाम तय करेगा पंजाब में राजनीतिक दलों का भविष्य


 चंडीगढ़। संगरूर में हो रहे लोकसभा के उपचुनाव को लेकर मंगलवार को प्रचार थम गया है। अब 23 जून को मतदाता अपना फैसले पर मोहर लगाएंगे। परिणाम भले ही किसी भी दल के पक्ष में आए, लेकिन यह तय है कि इसका असर राजनीतिक दलों के भविष्य पर पड़ेगा।

मुख्यमंत्री भगवंत का गृह क्षेत्र होने के कारण आम आदमी पार्टी पर चुनाव जीतने का दबाव है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री मान ने पिछले कई दिनों से संगरूर में डेरा जमाए रखा। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री व आप के संयोजन अरविंद केजरीवाल भी चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतरे।

राजनीतिक दलों के भविष्य पर इस चुनाव के परिणाम का असर पड़ना इसलिए भी तय माना जा रहा है क्योंकि तीन माह पहले सत्ता में आई आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में संगरूर लोकसभा सीट के अधीन आने वाली सभी नौ विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।

मुख्यमंत्री भगवंत मान संगरूर से दो बार सांसद रह चुके हैं। 2014 में उन्होंने यह सीट 2.11 लाख और 2019 में 1.10 लाख वोट के अंतर से जीती थी। आप के लिए यह भी यह चुनौती है कि वह मान के विजयी मार्जिन को बरकरार रख पाती है या नहीं, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में आप संगरूर लोकसभा सीट के अधीन आने वाली सभी नौ विधानसभा सीटों पर कुल 5.43 लाख वोट मिले थे।

वहीं, भारतीय जनता पार्टी पहली बार संगरूर में अपने दम पर लोकसभा चुनाव लड़ रही है। भाजपा प्रत्याशी केवल ढिल्लों ने 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर इस सीट से 3.03 लाख वोट हासिल किए थे। इस उपचुनाव में भाजपा दमदार उपस्थिति दर्ज करवाती है तो 2024 में पार्टी को मजबूत आधार मिल जाएगा।

दूसरी तरफकांग्रेस के लिए भी यह चुनाव सबसे बड़ी चुनौती है। विधानसभा में मिली हार के बाद कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। एक तरफ कांग्रेस के पूर्व मंत्री व विधायक पार्टी छोड़कर जा रहे हैं तो दूसरी तरफ पूर्व मंत्री व विधायक भ्रष्टाचार के मामलों में फंस रहे है। ऐसे में कांग्रेस के लिए इस उपचुनाव में दमदार उपस्थिति दर्ज करवाना सबसे बड़ी चुनौती है।