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सरकारी आंकड़ों में तीन की ही मौत, घाट पर वाराणसी के सात तो अन्य जिलों के छह शव पहुंचे


वाराणसी,। कोरोना संक्रमितों की मौत को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से बेमेल आंकड़े उजागर किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को कोरोना संक्रमित तीन लोगों की मौत का आंकड़ा जारी किया जबकि हरिश्चंद्र घाट पर स्थापित प्राकृतिक शवदाह गृह में कुल 13 चिताएं जलाई गईं। इसमें वाराणसी के रहने वाले सात थे तो अन्य जनपदों के छह के शव रहे।

यह कागजी और जमीनी आंकड़ों का फर्क ही कोरोना संक्रमण की भयावहता बताने के लिए काफी है। संक्रमण के दावों का सच घाट पर सज रही चिताएं बता रही हैं। जबकि सरकारी आंकड़े सब कुछ कंट्रोल की स्थिति बता रहे हैं। जबकि चिताओं की संख्‍या प्रशासन के आंकड़ों को झूठा साबित कर रही हैं। इस बाबत प्रशासन की ओर से ही न अन्‍य स्रोतों से कहीं कोई मुह खोलने को तैयार है। दूसरी ओर अस्‍पतालों में फुल चल रहे बेड भी संक्रमण की दास्‍तान उजागर कर रहे हैं।

हरिश्चंद्र घाट पर संक्रमितों के शवों का दाह संस्कार करने के लिए लाइन लगी है। व्यवस्था परखने के लिए एक दिन पूर्व नगर आयुक्त गौरांग राठी भी पहुंचे थे। प्राकृतिक शवदाह गृह का संचालन नगर निगम करता है। यहां आए शवों का पूरा ब्योरा दर्ज होता है। मंगलवार को शवदाह गृह में कुल 19 शवों का दाह संस्कार हुआ। इसमें कोरोना संक्रमितों के शवों की संख्या 13 थी जिसमें वाराणसी के सात तो अन्य जिलों प्रयागराज, आजमगढ़, सोनभद्र, गाजीपुर, बलिया व चंदौली के एक-एक शव थे।

एक दिन पूर्व जलीं 14 चिताएं

स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को भी तीन संक्रमितों की मौत की जानकारी सार्वजनिक की थी लेकिन शवदाह गृह में कुल 20 शव का दाह संस्कार किया गया। इसमें संक्रमितों शवों की संख्या 14 थी जिसमें वाराणसी के रहने वाले 10 लोगों के शव थे जबकि आजमगढ़, आंबेडकर नगर, चंदौली व भदोही के एक-एक शव थे। यह आंकड़े दो दिन के हैं। गैस शवदाह गृह संचालक की मानें तो ऐसे हालात पिछले कई दिनों से बने हैं।

लकड़ी की चिता पर भी दाह संस्कार!

जब आंकड़े बेमेल हैं तो स्थानीय निवासियों की बातों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कहना है कि कई निजी अस्पतालों में हुई कोरोना संक्रमितों की मौत का आंकड़ा दर्ज नहीं किया जा रहा है। निजी अस्पताल की ओर से जानकारी छिपाकर परिजनों को सौंप दिया जा रहा है। ऐसे कुछ शवों की चिताएं रोज लकड़ी पर लग रही हैं जिनका लेखा-जोखा न तो नगर निगम के पास है और न ही स्वास्थ्य महकमा के पास। इन आंकड़ों में महाश्मशान मणिकर्णिका घाट को जोड़ा ही नहीं गया है जहां बड़ी संख्या में धार्मिक महत्व को देखते शवों का दाहसंस्कार होता है।