सूत्रों के मुताबिक निजता और साइबर सुरक्षा से संबंधित विधेयक को एक से अधिक विधेयकों से बदला जा सकता है और सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयकों का नया सेट ला सकती है।
वैष्णव ने एक बयान में कहा कि संसद की संयुक्त समिति द्वारा पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन, 2019 पर बहुत विस्तार से विचार किया गया था। 81 संशोधन प्रस्तावित किए गए थे और डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र पर एक व्यापक कानूनी ढांचे की दिशा में 12 सिफारिशें की गई थीं।
व्यापक कानूनी ढांचे पर किया जा रहा है काम
उन्होंने आगे कहा कि जेसीपी की रिपोर्ट पर विचार करते हुए एक व्यापक कानूनी ढांचे पर काम किया जा रहा है। इसलिए, परिस्थितियों में पर्सनट डेटा संरक्षण विधेयक, 2019′ को वापस लेने और एक नया विधेयक पेश करने का प्रस्ताव है जो व्यापक कानूनी ढांचे में फिट बैठता है। पहले के बिल ने गोपनीयता के पैरोकारों, उद्योग हितधारकों और तकनीकी कंपनियों से गहन जांच की।
बता दें कि डेटा संरक्षण विधेयक में सरकार को अपनी जांच एजेंसियों को अधिनियम के प्रावधानों से कुछ खास रियायतें देने की बात भी कही गई थी। इसका विपक्षी दलों के सदस्यों ने विरोध करते हुए अपनी असहमति भी जताई थी।
गौरतलब है कि इस विधेयक को 11 दिसंबर, 2019 को सदन में पेश किया गया था। इसके बाद इसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेज दिया गया था। समिति की रिपोर्ट 16 दिसंबर, 2021 को लोकसभा में पेश की गई।