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जवानों को दी गयी जीवन रक्षक प्रक्रिया की जानकारी, विशेषज्ञों ने बताया दिल रुकने पर कैसे बचाई जा सकती है जान
वाराणसी।भारत सरकार के अभियान के तहत पूरे देश में कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) के प्रति लोगों को जागरूक करने का क्रम जारी है। इसी कड़ी में गुरुवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 95वीं वाहिनी में कर्मयोगी पीठ के तत्वावधान में सीपीआर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में डॉ. अखिलेश श्रीवास्तव ने सीआरपीएफ जवानों को आपातकालीन जीवन रक्षक प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जब किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता है, तब सीपीआर के माध्यम से मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक रक्त प्रवाह को बनाए रखा जा सकता है। इसमें छाती पर दबाव डालना और मुंह से सांस देना शामिल होता है, जिससे हृदय और फेफड़ों की कार्यप्रणाली को पुनर्जीवित किया जा सके। इस दौरान वाहिनी के कमांडेंट आरएस बालापुरकर ने कहा कि सीपीआर एक अत्यंत आवश्यक जीवन रक्षक प्रक्रिया है। कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में तुरंत सीपीआर करने से व्यक्ति के बचने की संभावना दोगुनी या तिगुनी हो सकती है।
कर्मयोगी पीठ के प्रमुख संयोजक गौरव मिश्र ने सीआरपीएफ जवानों को राष्ट्रवीर बताते हुए कहा कि कर्मयोगी पीठ और 95वीं वाहिनी के संयुक्त प्रयास से ऐसे जनकल्याणकारी कार्यक्रम आगे भी जारी रहेंगे। कार्यक्रम की सफलता पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की ओर से कर्मयोगी पीठ को सम्मानित भी किया गया।कार्यक्रम में द्वितीय कमान अधिकारी राजेश कुमार, आलोक कुमार, उप कमांडेंट नवनीत कुमार, शुभम जायसवाल, सौरभ मिश्र और शिवसरन सिंह समेत सैकड़ों जवान उपस्थित रहे।