- सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने कहा है कि उसे गोवा में रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना को शुरू करने का कोई औचित्य नहीं दिखा. इस परियोजना का पर्यावरण विशेषज्ञ विरोध कर रहे हैं. समिति ने 23 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस तरह की परियोजना से पश्चिमी घाटों की कमजोर जैव-प्रणाली को क्षति पहुंचेगी. पश्चिमी घाट अंतरराष्ट्रीय रूप से मान्यता प्राप्त एक, जैव-विविधता वाला केंद्र है और यह देश में एक महत्वपूर्ण वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर है.
समिति ने अपनी 110 पन्नों की रिपोर्ट में बताया है, ”इसके अलावा, यह डबल-ट्रैकिंग परियोजना पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील और जैव-विविधता वाले समृद्ध टाइगर रिजर्व, दो वन्यजीव अभयारण्यों और एक नेशनल पार्क से गुजरने वाले रेलवे नेटवर्क के सबसे कम प्रभावी सेक्शन की क्षमता में मामूली बढ़ोतरी करेगी.”
समिति ने अपनी रिपोर्ट में रेलवे लाइन की डबल ट्रैकिंग को दी गई अनुमति को निरस्त करने की सिफारिश करते हुए कहा, ”इन परिस्थितियों में, माननीय न्यायालय के विचार पर पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील पश्चिमी घाटों से गुजरने वाले रेलवे लाइन के दोहरीकरण के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की स्थायी समिति द्वारा दी गई अनुमति को निरस्त करने की सिफारिश की जाती है.”
दक्षिण पश्चिम रेलवे लाइन की डबल ट्रैकिंग के साथ तीन तरह की परियोजनाओं को सरकार ने मंजूरी दी थी. इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग को फोर लेन करने की परियोजना और गोवा टैमनर ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट लिमिटेड (GTTPL) द्वारा पावर ट्रांसमिशन लाइन बिछाने की परियोजना भी शामिल हैं. पर्यावरण रूप से संवेदनशील इलाकों में इन परियोजनाओं को पिछले साल 7 अप्रैल को मंजूरी दी गई थी. इस पर कई स्थानीय संगठनों ने आपत्ति जताई थी.