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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मोटर दुर्घटना मामले में मुआवजे के लिए मृतक की आय पर भी सुसंगत तरीके से गौर करने की दरकार


नई दिल्‍ली, । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) दो-टूक कहा है कि मोटर दुर्घटना के मामलों में मुआवजा देते वक्‍त मृतक की कमाई के लिहाज से एक मजबूत दृष्टिकोंण अपनाया जाना चाहिए। खासकर तब जब मृतक खुद की खेती करने वाला किसान या खुद का काम करने वाला एक कुशल श्रमिक (Self Skilled Worker) हो। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ (Justices DY Chandrachud) और जस्टिस हिमा कोहली (Justices Hima Kohli) की पीठ ने केरल हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान उक्‍त बातें कही।

केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (Motor Accident Claim Tribunal, MACT) द्वारा दिए गए मुआवजे की राशि कम कर दी थी। एमएसीटी ने पहले मामले में 30 जनवरी, 2017 को अनानास की खेती करने वाले मृतक किसान के परिजनों को 26.75 लाख रुपये का मुआवजा दिया था। मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (Motor Accident Claim Tribunal, MACT) ने किसान की मूल आय 12,000 रुपये प्रति माह को इसका आधार माना।

हालांकि केरल हाईकोर्ट ने एमएसीटी की ओर से आय संबंधी की गई इस गणना को 12,000 रुपये से घटाकर 10,000 रुपये कर दिया था। सर्वोच्‍च न्‍यायालय की पीठ ने पहले मामले में कहा कि चूंकि मृतक अनानास की खेती करने वाला किसान था। इसलिए ऐसे मामलों में कमाई की मात्रा पर एक सुसंगत नजरिया अपनाया जाना चाहिए क्योंकि इसके दस्तावेजी सबूत उपलब्ध नहीं हो सकते हैं। खास तौर पर खुद की खेती करने वाले किसान की कमाई को साबित करने के लिए। यह दुर्घटना एक अक्टूबर 2015 को हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपलोड किए अपने आदेश में कहा है कि एमएसीटी की ओर से अपनाई गई 12,000 रुपये प्रति माह की आय को मनमाना नहीं माना जा सकता है। केरल हाईकोर्ट की ओर से मृतक की आय को 12,000 रुपये से घटाकर 10,000 रुपये प्रति माह करके मुआवजे में बदलाव करने का कोई औचित्‍य नहीं था। इसके साथ ही सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने मुआवजे की रकम 26.75 लाख रुपये बहाल कर दी।

इसके साथ ही सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने आदेश दिया कि मृतक के परिजनों को बाकी रकम का भुगतान नौ फीसद सालाना ब्याज दर के साथ एक महीने के भीतर किया जाए। वहीं एक अन्य मामले में एमएसीटी ने मृतक के परिवार को 24.59 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था। मृतक एक बढ़ई था जिसकी मूल आय 15,000 रुपये प्रति माह आंकी गई थी।

हाईकोर्ट ने आमदनी को घटाकर 10,000 रुपये कर दिया था। इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि मृतक एक बढ़ई था जिसकी कमाई के दस्तावेजी सबूत उपलब्ध नहीं हो सकते हैं। ऐसे मामलों में कमाई पर सुसंगत दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने 24.59 लाख रुपये की मुआवजा राशि को बहाल कर मृतक के परिजनों को बाकी रकम का भुगतान नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर के साथ एक महीने के भीतर करने के निर्देश दिए।