रविवार को उत्तर-फाल्गुन नक्षत्र में प्रदोष काल से लेकर निशामुख रात्रि १२.४० बजे तक जलायी जायेगी
(आज समाचार सेवा)
पटना। खुशी, उमंग तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार होली कल सोमवार को हस्त नक्षत्र तथा ध्रुव एवं जयद योग के युग्म संयोग में मनायी जाएगी।
वहीं होलिका दहन आज रविवार को उत्तर-फाल्गुन नक्षत्र में प्रदोष काल से लेकर निशामुख रात्रि १२.४० बजे तक जलायी जायेगी। होली का पर्व हिन्दू धर्म में काफी पवित्र माना गया है। इस दिन रंगों के आगे द्वेष और बैर की भावनाएं फीकी पड़ जाती है।
रंगोत्सव का पर्व होली भारतीय सनातन संस्कृति में अनुपम और अद्वितियी हैी। यह पर्व प्रेम तथा सौहाद्र्र का संचार करता है। होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा की जाती है। महिलाएं व्रत रखकर हल्दी का टीका लगाकर सात बार होलिका की परिक्रमा कर परिवार की सुख शांति की कामना करती हैं और सुख-शांति, समृद्धि के साथ-साथ संतान के उज्जवल भविष्य की कामना करती है।
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के मत से बताया कि आज होलिका दहन का शुभ मुर्हूत मिथिला पंचांग के अनुसार प्रदोष काल में शाम ६.१५ बजे से ७.४२ बजे तक है। वहीं बनारसी पंचांग के मुताबिक प्रदोष काल से लेकर निशामुख रात्रि १२.४० बजे तक है।
आज प्रात: ५.५५ बजे से दोपहर १.३३ बजे तक भद्रा है। भद्रा को विघ्नकारक माना गया है। भद्रा में होलिका दहन करने से हानि और अशुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसीलिए होलिका दहन भद्रा के बाद किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद की अग्नि भी नहीं जला पायी थी। उन्होंने बताया कि होलिका की पूजा करते समय ‘ऊं होलिकायै नम:’ मंत्र उच्चारण करना चाहिए। इससे अनिष्ट कारक का नाश होता है।