आज़मगढ़

नाटक के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों पर किया प्रहार


आजमगढ़। रंगमंच व  ललित कलाओं के लिए समर्पित सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था हुनर संस्थान द्वारा जनपद में राष्ट्रीय एकता अखंडता व लोक कलाओ को बढ़ावा देने के उद्देश्य प्रतिभा निकेतन इंटर कालेज में 26 से 30 दिसम्बर तक चल रहे हो ना रंग महोत्सव के चौथे दिन की संध्या का आगाज विधायक मुबारकपुर अखिलेश यादव, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व आजाद भगत सिंह, अभिषेक जायसवाल दीनू ने दीप प्रज्ज्वलन कर मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। राकिंग डांस ग्रुप कैमूर बिहार के कलाकारों द्वारा भावपूर्ण गणेश वंदना समूह नृत्य कार्यक्रम की शुरुआत हुई। समारोह के चौथे दिन की पहली नाट्य प्रस्तुति नाटक मैं भी मां बन गया, समाज के सामने लडक़े और लडक़ी के भेदभाव को उजागर करता है। जहां औरत को बार-बार बेटा पैदा करने के लिए मजबूर किया जाता है, जबकि बेटा होगा या बेटी यह तो किसी के वश में नहीं है। परंतु यदि पुरुष को ही बेटा पैदा करना पड़ जाए तो जीवन की ट्रेजीडी हास्य में बदल जाती है। नाटक एक संदेश के साथ हंसाता-रुलाता है और जब पूरी जायदाद होने वाले बेटे के नाम पर हो तो परिस्थितियां कितनी उलझ सकती हैं, और यदि वसीयत बनाने वाला मरकर अप्रत्यक्ष रूप से जिंदा हो तो नाटक में बुंदेलखंडी बोली का इस्तमाल किया गया है जिसका बुंदेली रूपांतरण और सहायक निर्देशन आरती विश्वकर्मा ने किया है। नाटक के लेखक निर्देशक सुनील राज हैं। अविराम संस्था भोपाल की इस प्रस्तुति में मोहम्मद शाद, आरती विश्वकर्मा, संतोष पंडित, ऋतिक शर्मा, भारती साहू, हिमांशू प्रजापति, अम्मनी शिवकुमार, सत्यम और इंद्रजीत ने अभिनय किया है। समारोह की दूसरी नाट्य प्रस्तुति प्रभाव क्रिएटिव सोसाइटी आरा बिहार द्वारा भिखारी ठाकुर लिखित मनोज सिंह के निर्देशन में नाटक गंगास्नान का का मंचन किया गया। तीसरी नाट्य प्रस्तुति आशीष अंशुमान आर्टिस्ट  कल्चरल एसोसिएशन गंजम उड़ीसा द्वारा राजगोपाल पाड़ी द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक शापित पुत्र का मंचन किया गया। नाटक शापित पुत्र-पिता पुत्र के संबंधों पर आधारित था। समारोह को सफल बनाने के लिए संस्थान अध्यक्ष मनोज यादव, हेमंत श्रीवास्तव, गौरव मौर्य, उपाध्यक्ष डा0 शशि भूषण शर्मा, राकेश कुमार, रवि चौरसिया, अमरजीत विश्वकर्मा, कमलेश सोनकर, शशि सोनकर सहित संस्थान पदाधिकारी लगे हुए है। संचालन सुनील दत्त विश्वकर्मा ने किया।