देहरादून: कुछ दिन राहत के बाद शुक्रवार की रात उत्तराखंड में बारिश ने तबाही ला दी। एक ही रात में पौड़ी और उत्तरकाशी जिले में बादल फटने की घटना सामने आई। सैलाब से बचने को लोग रातभर इधर-उधर भागते दिखे। कई घर, दुकान, वाहन, खेत, खलिहान, पुल और सड़कें बह गईं। राहत की बात यह रही कि इस आपदा में दोनों जिलों में किसी व्यक्ति के हताहत होने की खबर नहीं आई।
बारिश के कारण हुए भूस्खलन के कारण शुक्रवार रात से चारधाम यात्रा मार्गों का खुलने और बंद होने का सिलसिला जारी रहा। इससे हजारों यात्री विभिन्न जगहों पर मार्ग खुलने का इंतजार करते रहे। मौसम विभाग के अनुसार आज शनिवार को प्रदेश में आंशिक बादल छाये रहने के आसार हैं। देहरादून उत्तरकाशी व बागेश्वर में कहीं-कहीं तीव्र बौछारें पड़ सकती हैं।
वहीं शनिवार को हरिद्वार के लालढांग में कोटा वाली नदी ऊफान पर आ गई। इस दौरान उत्तर प्रदेश परिवहन की सवारियों से भरी बस नदी के बीच फंस गई। इससे 70 सवारियों की जान गले-गले आ गई। क्रेन की मदद से फिलहाल बस को नदी में ही यथावत रोका गया और सवारियों को सुरक्षित निकाला गया।
उत्तराखंड के सीमांत जनपद उत्तरकाशी में शुक्रवार की रात को कई स्थानों पर अतिवृष्टि और बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं। रात करीब ढाई और तीन बजे के बीच जनपद पुरोला बड़कोट के नंदगांव और उप तहसील धौंतरी क्षेत्र में बादल फटने व अतिवृष्टि होने की सूचना मिली।
अतिवृष्टि होने से सड़क, रास्ते, पैदल पुलिया, खेत-खलियान और मकान दुकानों को नुकसान पहुंचा है। पुरोला तहसील क्षेत्र में जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने शनिवार को अवकाश घोषित किया। जिलाधिकारी ने घटना स्थलों पर मौजूद सभी उप जिलाधिकारियों से मौजूदा स्थिति का अपडेट लेते हुए राहत कार्यों की गति को निरंतर तेज बनाये रखने और अधिकाधिक प्रभावितों को आज ही सहायता राशि वितरित करने के निर्देश दिए हैं।
पुरोला के छाड़ा खड्ड में भी बादल फटने के कारण भूस्खलन हुआ है। भूमि कटाव और कुछ घरों और दुकानों में मलबा घुस गया। शनिवार की सुबह प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। यहां सड़क पर खड़े वाहन भी मलबे में दबे हैं। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय गंगनानी में पानी और मलबा भर गया। रात के समय एसडीआरएफ के जवानों ने सभी को विद्यालय से सुरक्षित निकाला।
पौड़ी जिले में थलीसैंण ब्लाक के अंतर्गत ग्राम रौली में बीती रात बादल फटने से भारी नुकसान हुआ। गांव के दोनों किनारों पर मौजूद बरसाती गदेरे ऊफान पर आने से गांव की करीब दो हेक्टेयर कृषि भूमि के साथ एक गोशाला भी बह गई। गोशाला में दो बैल और 11 बकरियां थीं। बादल फटने से गांव के तमाम रास्ते और गांव में घरों को एक-दूसरे से जोड़ने वाली आठ पुलिया बह गईं हैं।