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नीतीश कुमार को बड़ा झटका! राज्यसभा में कम होगी JDU की पावर, इस पार्टी का खुल सकता है खाता


पटना। बिहार से राज्यसभा में इस बार जदयू की सदस्य संख्या कम हो जाएगी। भाजपा की एक बढ़ेगी। राजद और कांग्रेस की सदस्य संख्या यथावत रहेगी, लेकिन राज्यसभा में अगर भाकपा माले का खाता खुलता है तो महागठबंधन के किसी एक दल को एक सीट से हाथ धोना पड़ेगा।

राजद के मनोज कुमार झा एवं अशफाक करीम, जदयू के अनिल प्रसाद हेगड़े एवं बशिष्ठ नारायण सिंह, भाजपा के सुशील मोदी एवं कांग्रेस के डा. अखिलेश प्रसाद सिंह का राज्यसभा का कार्यकाल अप्रैल में पूरा हो रहा है। आज की तिथि में बिहार से राजद के छह, जदयू के पांच, भाजपा के चार और कांग्रेस का एक सदस्य राज्यसभा में है।

छह रिक्तियों को भरने के लिए चुनाव आयोग आठ फरवरी को अधिसूचना जारी करेगा। 27 फरवरी को निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी होगी।

दो साल पहले से कम हो रही सीट

2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू की सदस्य संख्या कम हो जाने के कारण राज्यसभा में उसके सदस्यों की संख्या कम हो रही है। कम सदस्य संख्या का असर 2022 के राज्यसभा चुनाव पर भी पड़ा था। राजद-भाजपा के दो-दो, जबकि जदयू का सिर्फ एक सदस्य जीता था। विधायकों की इसी संख्या के कारण जदयू को एक सीट पर ही संतोष करना पड़ेगा।

वैसे, भाजपा अगर त्याग करे तो जदयू को दो सीटें मिल सकती हैं। कहना मुश्किल है कि भाजपा पहले की तरह जदयू के प्रति उदारता का प्रदर्शन कर पाएगी। चुनावी वर्ष में वह इस सीट के माध्यम से सामाजिक समीकरण साधने का प्रयास करेगी।

एक सीट के लिए 35 वोट चाहिए

विधानसभा के 243 विधायक राज्यसभा के लिए मतदान करेंगे। एक सीट पर जीत के लिए 35 विधायकों का प्रथम वरीयता का वोट चाहिए। यह सदस्य संख्या महागठबंधन और राजग के तीन-तीन सदस्यों के निर्विरोध निर्वाचन का रास्ता साफ करता है, लेकिन अगर सातवां उम्मीदवार मैदान में आ जाए तो चुनाव की स्थिति बन जाएगी। आम तौर पर बड़े दल रिक्ति से अधिक उम्मीदवार की कामना नहीं करते हैं। ऐसे उम्मीदवार क्रास वोटिंग पर आश्रित रहते हैं, जिसका डर सभी दलों को रहता है।

महागठबंधन में खींचतान

महागठबंधन में भी एक सीट को लेकर खींचतान की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। भाकपा माले, भाकपा और माकपा की ओर से माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य को राज्यसभा में भेजने की मांग हो रही है। तर्क यह कि 19 विधायकों की संख्या के आधार पर कांग्रेस को राज्यसभा और विधान परिषद में जगह दी जा सकती है तो 16 विधायक वाले वाम दलों को क्यों नहीं। राज्यसभा में एक सीट मिले। वाम दलों की ओर से विधान परिषद में भी एक सीट की मांग की जा रही है।