नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच का तनाव लगातार एक नई ऊंचाई को छूता जा रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की के इस बयान के बाद कि रूस उन पर 16 फरवरी को हमला कर सकता है, ने इस तनाव को और अधिक बढ़ा दिया है। यूक्रेन की राजधानी कीव से कई देशों ने अपने दूतावासों को बंद कर लवावी में अस्थाई कार्यालय बनाया है। कई देशों ने अपने राजनयिकों और उनके परिजनों समेत यूक्रेन में मौजूद अपने नागरिकों से तुरंत यूक्रेन को छोड़ने की अपील की है।
बढ़ते तनाव के मद्देनजर भारत ने भी अपने कीव स्थित दूतावास से कर्मियों को स्वदेश वापस लौटने की सलाह दी है। दूसरी तरफ यूक्रेन ने बेलारूस जाने वाली अपनी विमान सेवा को फिलहाल निलंबित कर दिया है, क्योंकि वहां पर रूस की फौज भारी हथियारों के साथ तैनात है। वहीं, कई दूसरे देशों ने यूक्रेन और रूस के लिए विमान सेवा को निलंबित कर दिया है। ये सभी बातें इस बात का सबूत है कि तनाव अपने चरम पर पहुंच रहा है।
इस सवाल के जवाब में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और विदेश मामलों के जानकार प्रोफेसर पुष्पेश पंत का कहना है कि अमेरिका ने जो पूर्व में रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले की समय सीमा बताई थी उसकी मियाद 16 फरवरी की रात को खत्म हो रही है। इसलिए ये तारीख बताई गई है। दूसरी बड़ी वजह इस तारीख के पीछे बीजिंग में चल रहे विंटर ओलंपिक गेम्स भी हो सकते हैं। उनके मुताबिक, ये गेम्स यूं तो 20 फरवरी तक चलने हैं लेकिन 16 फरवरी तक इसके सभी मुख्य कार्यक्रम खत्म हो जाएंगे। ऐसे में भी ये तारीख बताई गई हो सकती है। प्रोफेसर पंत की बात इसलिए भी मायने रखती है, क्योंकि अमेरिका खुद इस बात की आशंका जता चुका है कि रूस विंटर ओलंपिक गेम्स के बीच में कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है।
यूक्रेन अमेरिका से इस बात की भी अपील कर चुका है कि उसके राष्ट्रपति कुछ समय के लिए कीव आकर रहें। ऐसा इसलिए कहा गया है, क्योंकि वो ये भलीभांति जानता है कि यदि राष्ट्रपति बाइडन यूक्रेन में होंगे तो रूस कभी भी हमला नहीं करेगा।