10 हजार माध्यमिक शिक्षकों को मिल रहा प्राथमिक से कम वेतन
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- 37 हजार शिक्षक वेतन विसंगति के शिकार
- विसंगति दूर करने के बाद बढ़े 15 प्रतिशत वेतन : माध्यमिक शिक्षक संघ
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(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य में स्थानीय निकाय एवं पंचायतीराज संस्थाओं के तकरीबन 37 हजार माध्यमिक शिक्षक वेतन विसंगति के शिकार हैं। इनमें तकरीबन 10 हजार माध्यमिक शिक्षक ऐसे हैं, जिनका वेतन विसंगति की वजह से प्राथमिक शिक्षक से भी कम है। 15 से 20 हजार माध्यमिक शिक्षक ऐसे हैं, जिनका वेतन अपने से कनीय शिक्षकों से कम है। इसके साथ ही तकरीबन 10 हजार माध्यमिक शिक्षक ग्रेड-पे के चलते वेतन विसंगति की मार झेल रहे हैं।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष व विधान पार्षद केदारनाथ पाण्डेय, प्रभारी महासचिव विनय मोहन एवं राज्य कार्यकारिणी सदस्य प्रवीण कुमार ने रविवार को यहां प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि राज्य सरकार पहले वेतन विसंगति की निराकरण करे। उसके बाद वेतन में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी करे। वेतन में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करे। अगर विसंगति का निराकरण किये बिना 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई, तो वेतन विसंगति की समस्या ज्यादा उलझ जायेगी। इस बाबत शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी को ज्ञापन दिया गया है तथा संगठन के शिष्टमंडल की उनसे वार्ता भी हुई है।
वेतन विसंगति के कारणों का खुलासा करते हुए बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष व विधान पार्षद केदारनाथ पाण्डेय,प्रभारी महासचिव विनय मोहन एवं राज्य कार्यकारिणी सदस्य प्रवीण कुमार ने कहा कि स्थानीय निकाय एवं पंचायतीराज शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को राज्य सरकार द्वारा 11 अगस्त, 2015 से 5200-20200 के वेतनमान में क्रमश: प्राथमिक शिक्षकों के लिए ग्रेड-पे 2000, माध्यमिक शिक्षकों के लिए ग्रेड-पे 2400 एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों के लिए ग्रेड पे 2800 लागू किया गया। इस प्रकार प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों का पे-बैंड क्रमश: 6460 जोड़ 2000, 7510 जोड़ 2400 एवं 8560 जोड़ 2800 होना चाहिये था, जो नहीं हुआ।
सातवें वेतन पुनरीक्षण में वेतन आयोग की अनुशंसा के आलोक में मूल प्रवेश वेतन 5200-20200 के ग्रेड-पे 2000 पर 21700, ग्रेड-पे 2400 पर 25500 और ग्रेड-पे 2800 पर 29200 होता है, जबकि शिक्षा विभाग के 21 जून, 2017 के संकल्प के आलोक में निर्धारित पे-मैट्रिक्स के अनुरूप 2000 के ग्रेड-पे पर 18160, 2400 के ग्रेड-पे पर 19540 एवं 2800 के ग्रेड-पे पर 20560 होता है। इससे विसंगतियां और बढ़ गयीं। इससे प्राथमिक शिक्षकों का वेतन माध्यमिक शिक्षकों से अधिक हो रहा है।
उन्होंने कहा कि 11 अगस्त, 2015 को जारी आदेश के द्वारा स्थानीय निकाय एवं पंचायतीराज संस्थाओं के शिक्षकों को नियत वेतन में प्राप्त वार्षिक वेतनवृद्धि से वंचित करने हुए वेतन निर्धारण के समय एक जुलाई, 2015 को तीन वर्ष पर एक वार्षिक वेतनवृद्धि की गणना की गयी, जबकि पांच जून, 2014 के आदेश एवं 18 दिसंबर, 2014 के शुद्धि पत्र के द्वारा नियुक्ति तिथि से वार्षिक वेतनवृद्धि दी गयी। इससे तीन वर्ष के अंदर नियुक्त सभी शिक्षकों के वेतन समान हो गये। वरीय शिक्षकों का वेतन कनीय शिक्षकों से कम हो गया। इस वजह से जिलों में वेतन निर्धारण में एकरूपता भी नहीं है।
श्री पाण्डेय ने कहा कि राजकीयकृत एवं प्रोजेक्ट माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत नियमित प्रधानाध्यापकों एवं शिक्षकों को एमएसीपीएस,2010 योजना के तहत देय तृतीय वित्तीय उन्नयन में 6600 रुपये का ग्रेड-पे तीस वर्ष की सेवा पर दिये जाने का प्रावधान है, लेकिन यह मामला अब तक शिक्षा विभाग एवं वित्त विभाग के बीच लटका हुआ है। इसका असर हजारों सेवानिवृत शिक्षकों के पेंशन पर पड़ रहा है।
संवाददाताओं से बातचीत में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह, मूल्यांकन परिषद के सचिव देववंश सिंह तथा राज्य कार्यकारिणी सदस्य अशोक राय सहित मृत्युजंय कुमार एवं गौतम भी मौजूद थे।