भदोही, ज्ञानपुर

20 किमी. दूर से ठेले पर वृद्ध सांस के रोगी को अस्पताल लेकर पहुंचा परिवार, व्यवस्था की खुली पोल


कोइरौना (भदोही)। मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस सेवा संचालित हो रही है, लेकिन आये दिन सामने आ जाने वाली लापरवाहीपूर्ण तस्वीरें एम्बुलेंस सेवा के ढाक के तीन पात वाली कहानी और स्थिति बयां कर जाती हैं। शुक्रवार को जनपद भदोही से हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई, जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डीघ में सुदूर गांव से एक गरीब परिवार एक बीमार वृद्ध को ठेले पर लिटाकर अस्पताल पहुंचा।
ऊंज थाना क्षेत्र के रामपुर केसी गांव स्थित मरीज के घर से सीएचसी डीघ (CHC DEEGH ) की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है। बूढ़े मरीज बाप को बेटा बुद्धू और उसकी मां ठेले पर लेकर करीब 02 घण्टे में अस्पताल पहुंचे, किंतु उन्हें सरकारी एम्बुलेंस नसीब नही हो सकी। जबकि रास्ते में कई बार एम्बुलेंस आती जाती रहीं। वृध्द सांस का रोगी है, और उसकी सांस फूल रही थी, वह बमुश्किल सांस लेता नजर आ रहा था। ऐसे में उसकी जान कभी भी जा सकती थी। अस्पताल में उसे ऑक्सीजन भी लगाया गया। परिवार वृध्द पेशेंट को साइकिल वाले ठेलिये पर लेकर इलाज हेतु अस्पताल पहुंचा। जिसने भी इस हकीकत को देखा दांतों तले उंगलियां दबा लिया।
वास्तव में यह गरीबी, लाचारी और बेबसी से भी रूबरू कराने वाली तस्वीर है, सरकारी सिस्टम कैसे धरातल पर लापरवाही की इंतेहा पार कर रहा है, यह उसकी भी एक बानगी है। अमूमन गांधी छाप कागजों के बूते घोड़े जैसा दौड़ लगाने वाला सरकारी तंत्र कैसे धरातल पर गरीब और अजागरूक लोगों के लिए केचुआ जैसा रेंगता है, यह उस सिस्टम की भी झलक दिखाने वाली तस्वीर है। यही वो अंतिम पंक्ति के लोग हैं जिन्हें सरकारी सेवाएं प्राथमिकता के तौर पर देने की बात और दावा सरकार करती है। ऐसे हालात तब हैं जब सूबे के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक लगातार अस्पतालों की खाक छान रहे हैं और व्यवस्थाओं की पड़ताल हेतु छापेमारी और मॉनिटरिंग करते दिख रहे हैं। कहीं न कहीं यह तस्वीर सूबे के मंत्री और मुख्यमंत्री के दावे को सीधे सीधे झूठा करार देती दिख रही है। और एम्बुलेंस की लचर सेवा और जिम्मेदारों के गंभीरता की भी पोल खोलती दिख रही है। अगर परिवार ने एम्बुलेंस को फोन नही किया हो, तो भी एक गरीब और अनपढ़ परिवार की जागरूकता के अभाव में भला क्या गलती है? बताओ साहब, एम्बुलेंस इन्हें नही तो किसे..?