- सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के सात पद खाली हैं, दो हाईकोर्ट नियमित मुख्य न्यायाधीशों के बिना काम कर रहे हैं और दो हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अगले डेढ़ महीने में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। सरकार के एक पदाधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन रिक्तियों को भरने के लिए सरकार शीर्ष अदालत के कॉलेजियम से रिकमेंडेशन (recommendation) भेजे जाने की प्रतीक्षा कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में पहली रिक्ति न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के नवंबर 2019 में चीफ जस्टिस के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद आई।
इसके बाद शीर्ष अदालत में कुछ और पद न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता, न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और पिछले महीने प्रधान न्यायाधीश के पद से जस्टिस एस ए बोबडे के सेवानिवृत्त होने के बाद रिक्त हुए हैं। वहीं न्यायमूर्ति एम एम शाांतानागौदर का अप्रैल में निधन हो गया था। शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है जबकि वर्तमान में वह 27 न्यायाधीशों के साथ काम कर रही है। इलाहाबाद और कलकत्ता हाईकोर्ट कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश चला रहे हैं। पदाधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के न्यायाधीश इस महीने के अंत में जबकि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जून में सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
न्याय विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध एक मई तक के आंकड़ों के मुताबिक देश के 25 हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या 1,080 स्वीकृत है लेकिन ये अदालतें 660 न्यायाधीशों के साथ काम कर रही हैं यानि 420 न्यायाधीश कम हैं। सेवानिवृत्ति, त्यागपत्रों या न्यायाधीशों की प्रोन्नति के कारण अदालतों में रिक्तियां होती रहती हैं। सरकार इस रुख पर कायम है कि हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच निरंतर सहयोग प्रक्रिया है क्योंकि इसमें विभिन्न संवैधानिक अधिकारियों से विचार-विमर्श और उनकी स्वीकृति की जरूरत होती है। शीर्ष अदालत और 25 हाईकोर्टों में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया के मुताबिक शीर्ष अदालत का कॉलेजियम नामों की अनुशंसा करता है जिसे सरकार या तो मंजूर करती है या फिर से विचार के लिए उसे वापस भेज देती है।