नई दिल्ली,। 5G in India: भारत में 5G सर्विस की लॉन्चिंग की तैयारी पूरी कर ली गई है। लेकिन 5G स्पेक्ट्रम नीलामी के नियमों को लेकर ट्राई की आयोजित ओपन हाउस चर्चा में रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया समेम सभी टेलिकॉम ऑपरेटर और सेटैलाइट ब्रॉडबैंड कंपनियां के बीच राय नहीं बन सकी। ऐसे में टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Trai) ने टेलिकॉम कंपनियों और दूसरे सर्विस प्रोवाइडर को 15 फरवरी तक अपने सभी अतिरिक्त सब्मिशन को जमा करने को कहा है। ट्राई ने खासतौर पर स्पेक्ट्रम वैल्यूवेशन के फॉर्मूले को साझा करने का निर्देश दिया है। वहीं सैटेलाइन कंपनियों इन-फ्लाइट और समुद्री कनेक्टिविटी में बाधा के चलते 28GHz फ्रिक्वेंसी बैंड की नीलामी का विरोध कर रही हैं। जो हवाई उडानों के लिए बेहद अहम होती है।
5G स्पेक्ट्रम की बेस प्राइस बर नहीं बनीं बात
ट्राई की तरफ से 5G स्पेक्ट्रम बैंड 3,300-3,600 Mhz के लिए बेस प्राइस 492 करोड़ रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज अनपेयर्ड स्पेक्ट्रम की सिफारिश की थी। 5G के लिए रेडियो वेव खरीदने के वाले टेलिकॉम ऑपरेटरों को 3,300-3,600 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए न्यूनतम 9,840 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। अगर टेलिकॉम ऑपरेटर मिडियम बैंड्स स्पेक्ट्रम की डिमांड करते हैं, तो टेलिकॉम ऑपरेटर को केवल 492 करोड़ रुपये बेस प्राइस देना होगा। रिलायंस जियो इंफोकॉम के अध्यक्ष रवि गांधी और भारती एयरटेल के मुख्य नियामक अधिकारी राहुल वत्स और सीओएआई के उप महानिदेशक विक्रम तिवथिया ने सुझाव दिया कि नियामक को अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क का उपयोग करते हुए मिड-बैंड और हाई फ्रीक्वेंसी बैंड में 5जी स्पेक्ट्रम का बेस प्राइस तय करना चाहिए।