नई दिल्ली, । देश में कर की चोरी और टैक्स पर नियंत्रण करने के लिए जीएसटी लागू की गई थी। 1 जुलाई 2017 को देश में जीएसटी लागू किया गया था। जीएसटी का पूरा नाम माल एवं सेवा कर है। इसे अप्रत्यक्ष कर में सुधार के तहत लाया गया है। शुरुआती दौर में देश में केवल 85,000-95,000 करोड़ रुपये का ही जीएसटी कलेक्शन होता था।
वहीं, अप्रैल, 2023 में ये कलेक्शन 1.87 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। ये अभी तक का सबसे उच्च स्तर है। देश में इतनी बड़ी संख्या में जीएसटी संग्रह करने में कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। इसी के साथ देश के राजस्व में कई कामयाबी भी हाथ आई है। आइए जीएसटी की कामयाबी और चुनौतियों के बारे में जानते हैं।
जीएसटी फर्जी के मामले
अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने एक महीने में 11,140 जीएसटी फर्जी के मामले पकड़े हैं। इन मामलों से 15,000 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का अनुमान लगाया जा रहा है। जीएसटी परिषद ने 2016 से अब तक 3,00,000 करोड़ रुपये के टैक्स चोरी के मामले पकड़े हैं।परिषद का अनुमान है कि जुलाई 2017 में 3 लाख करोड़ रुपये की टैक्स चोरी हुई है।
यहां मिली कामयाबी
टैक्स चोरी को नियंत्रण करने के लिए जीएसटी काफी कारगर साबित हुआ है। कर धोखाधड़ी को रोकने के लिए कर अधिकारी कई नए तरीके को आजमा रहे हैं। इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने के बाद फर्जी कंपनियां बनाने वालों के लिए जीएसटी अधिकारियों ने डेटा विश्लेषण, एआई और मशीन लर्निंग उपयोग करना शुरू कर दिया है।
ये हैं चुनौती
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अनुसार जीएसटी सिस्टम काफी जरूरी है। इसके जरिये आईटीसी के फर्जी दावों को रोका जा सकता है। टैक्स चोरी से सरकार को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इसी के साथ ईमानदार कारोबारियों को भी परेशानी होती है। सरकार को इस तरफ ध्यान देने की सख्त जरूरत है। केवल डेटा विश्लेषण से चोरी नहीं रोकी जा सकती है।
इन पर काम करने की जरूरत है
जीएसटी की दरों को पूरे देश में एक समान बनाने के लिए पेट्रोल, डीजल एवं विमान ईंधन पर जीएसटी लगाने की जरूरत है। इसी के साथ ऑनलाइन गेमिंग, क्रिप्टो लेनदेन, ईवी चार्जिंग ढांचे पर भी जीएसटी दरों पर फैसले लेने की जरूरत है।