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IIT मंडी का शोध: सौर ऊर्जा से कम लागत पर होगा हाइड्रोजन और अमोनिया का उत्पादन


मंडी. आईआईटी मंडी ने ऊर्जा के क्षेत्र में एक और नया अविष्कार किया है. शोधकर्ताओं ने पत्ती जैसी उत्प्रेरक संरचना विकसित कर सौर ऊर्जा से कम खर्च पर स्वच्छ हाइड्रोजन और अमोनिया उत्पादन का मार्ग प्रशस्त किया है. यह शोध आईआईटी मंडी, आईआईटी दिल्ली और योगी वेमना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने संयुक्त रूप से किया है. डॉ. वेंकट कृष्णन, एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज, आईआईटी मंडी के नेतृत्व में कार्यरत टीम ने हाल ही में इस शोध के परिणाम प्रतिष्ठित ‘जर्नल ऑफ मैटेरियल्स केमिस्ट्री’ के एक आलेख में प्रकाशित किए. आलेख के सह-लेखक व शोध विद्वान आईआईटी मंडी के डॉ. आशीष कुमार हैं. अन्य लेखकों में उनके सहयोगी आईआईटी दिल्ली के डॉ. शाश्वत भट्टाचार्य और मनीष कुमार और योगी वेमना विश्वविद्यालय, आंध्र प्रदेश के डॉ. नवकोटेश्वर राव और प्रो. एम.वी. शंकर हैं.

शोध प्रमुख ने बताया कि ”हम पत्तियों के रोशनी ग्रहण करने की क्षमता से प्रेरित थे और हम ने कैल्शियम टाइटेनेट में पीपल के पत्ते की सतह और आंतरिक तीन आयामी सूक्ष्म संरचनाएं बनाई, जिससे प्रकाश संचय का गुण बढ़े.” इस तरह उन्होंने प्रकाश ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाई. इसके अलावा ऑक्सीजन वैकेंसीज़ के रूप में ‘डिफेक्ट’ के समावेश से फोटोजेनरेटेड चार्ज के पुनर्संयोजन के समस्या समाधान में मदद मिली. ”हाइड्रोजन और अमोनिया दोनों का औद्योगिक महत्व है, इसलिए इनके उत्पादन में फोटोकैटलिटिक प्रक्रियाओं की सक्षमता बढ़ाने में हमारी दिलचस्पी रही है.” डॉ कृष्णन ने कहा कि हाइड्रोजन स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत है और अमोनिया उर्वरक उद्योग का आधार है. हाइड्रोजन और अमोनिया दोनों के उत्पादन में बड़ी मात्रा में उष्मा ऊर्जा की खपत होती है और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी होता है. इन दो रसायनों के उत्पादन में फोटोकैटलिसिस के उपयोग से न केवल ऊर्जा और लागत की बचत होगी, बल्कि पर्यावरण को भी बड़ा लाभ मिलेगा.