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9 समन को नजरअंदाज करना पड़ा भारी, ED के बाद CBI की गिरफ्त से फंसे केजरीवाल


नई दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तिहाड़ जेल से बाहर आने के हर संभव प्रयास के बीच बुधवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं।

नियमित जमानत पर बाहर आने की उम्मीद लगा रहे केजरीवाल के विरुद्ध सीबीआई द्वारा मामले में जांच तेज करने और रिमांड पर लेकर पूछताछ करने की प्रक्रिया से उन्हें झटका लगा सकता है।

लंबी हो सकती है केजरीवाल की लड़ाई

इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि भ्रष्टाचार व मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फरवरी 2023 से तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाएं निचली अदालत से लेकर शीर्ष अदालत से एक नहीं दो बार खारिज हो चुकी है। ऐसे में आम आदमी पार्टी संरक्षक व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जेल से बाहर आने की लड़ाई और लंबी हो सकती है।

कानूनी जानकारों की माने तो आबकारी घोटाला में आरोपित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद के लिए मुश्किल तब बढ़ा ली थी जब उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग में पूछताछ के लिए अक्टूबर 2023 से फरवरी 2024 के बीच उन्हें एक के बाद एक ईडी द्वारा भेजे गए समन को नजरअंदाज किया। केजरीवाल ने सभी समन को गैरकानूनी बताते हुए जांच में शामिल होने से इनकार किया।

100 करोड़ के मामले में कैसे फंसी के. कविता?

इसी बीच ईडी ने 15 मार्च को बीआरएस नेता के. कविता की गिरफ्तारी को हैदराबाद से गिरफ्तार किया और आरोप लगाया कि कविता ने आप नेताओं को 100 करोड़ रुपये देने में शामिल थी। ईडी का आरोप है कि केजरीवाल इस पूरी साजिश में न सिर्फ सीधे तौर पर जुड़े थे, बल्कि सीधे तौर पर नीति निर्माण और अपराध से हुई आय के प्रबंधन में भी शामिल थे।

हवाला के जरिये 45 करोड़ रुपये गोवा भेजे गए

नई आबकारी नीति मामले में दक्षिण समूह के शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के बदले रिश्वत मांगी गई और ऐसा न करने पर नियम बदलने की बात कही गई।

जांच में सामने आया है कि हवाला के जरिये 45 करोड़ रुपये गोवा भेजे गए थे। ईडी का यह भी आरोप है कि केजरीवाल व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार होने के साथ ही पार्टी के संरक्षक होने के नाते भी पीएमएलए के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार हैं।

सीबीआई ने दर्ज किया भ्रष्टाचार का मामला

अगस्त 2022 में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर एक्शन में आई थी सीबीआई एलजी की सिफारिश पर सीबीआई ने भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया और सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर जांच शुरू की। जांच की सिफारिश करने के बाद 30 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी थी।

विजय नायर की गिरफ्तारी से शुरू हुआ सिलसिला

इसके बाद मामले में दक्षिण समूह से जुड़े शराब व्यापारी अभिषेक बोइनपल्ली, समीर महेंद्रू, शराब निर्माता कंपनी पेरनोड रिकार्ड इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक बेनाय बाबू को ईडी ने गिरफ्तार किया। इसके साथ ही मामले में आम आदमी पार्टी के मीडिया प्रभारी विजय नायर की सीबीआई और ईडी द्वारा की गई गिरफ्तारी से शुरू हुआ सिलसिला अब तक जारी है।

26 फरवरी 2023 को हुई थी सिसोदिया की गिरफ्तारी

सीबीआई ने 26 फरवरी 2023 को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था और फिर नौ मार्च 2023 को ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

वहीं, आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को चार अक्टूबर 2023 को ईडी ने गिरफ्तार किया। नायर, सिसोदिया व संजय सिंह तीनों ही वर्तमान में तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।

15 मार्च को गिरफ्तार हुईं के. कविता

लंबे समय से ईडी की रडार पर रहीं तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता से लंबी पूछताछ के बाद ईडी ने उन्हें 15 मार्च को गिरफ्तार किया।

राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश की गई कविता को अदालत ने ईडी की हिरासत में भेज दिया। इसी कड़ी में एक के बाद एक नौ समन पर पेश नहीं होने पर 21 मार्च 2024 को ईडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी गिरफ्तार कर लिया।

क्या थी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22?

दिल्ली सरकार ने चोरी को रोकने और राजस्व बढ़ाने के लिए नवंबर 2021 में अपनी आबकारी नीति में सुधार का प्रयास शुरू किया था। इस समय तक दिल्ली में शराब की खुदरा बिक्री सरकारी निगमों और निजी कंपनियों के बीच समान रूप से वितरित की जाती थी और आबकारी विभाग प्रति वर्ष लगभग 4,500 करोड़ रुपये कमाता था।

दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के आने के बाद, सरकार ने खुदरा का पूरी तरह से निजीकरण कर, आबकारी चोरी और अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाकर 10 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य रखा गया। इस नई नीति के तहत शहर के सभी 272 नगरपालिका वार्डों में कम से कम दो शराब की दुकानें होनी थीं।

यह है मामला…

सीबीआई और ईडी ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थी और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ दिया गया था। लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया था।

लाभार्थियों ने आरोपित अधिकारियों को अवैध लाभ दिया और पता लगाने से बचने के लिए अपने खाते की पुस्तकों में गलत प्रविष्टियां कीं। यह भी आरोप है कि आबकारी विभाग ने निर्धारित नियमों के विरुद्ध एक सफल निविदाकर्ता को लगभग 30 करोड़ रुपये की बयाना जमा राशि वापस करने का निर्णय लिया था।

कोरोना महामारी के कारण 28 दिसंबर 2021 से 27 जनवरी 2022 तक निविदा लाइसेंस शुल्क पर छूट की अनुमति दी गई थी। इससे सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। दिल्ली के उपराज्यपाल की सिफारिश पर सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की थी। सीबीआई की प्राथमिकी पर ईडी ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू की थी।